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Richa Yadav
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Welcome, Richa Yadav "Riya"

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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है गज़ल निखर जाएगी सादर"
Nov 28
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब है सादर"
Nov 28
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
Nov 28
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Nov 28
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
Nov 27
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है, देखितेगा सादर"
Nov 27
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल निखर गयी है, कुछ सुधार किए हैं कृपया देखियेगा सादर जो जहाँ होगा वहीं पर बस खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह जाएगा 1 गर मुनासिब हो तो थोड़ी…"
Nov 27
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह जाएगा 1 गर मुनासिब हो तो थोड़ी सी ख़ुशी तू बाँट ले अस्ल में है ज़ीस्त का ये ही मज़ा रह जाएगा 2 कर ले हिम्मत वक़्त है अपनी जगह पहचान तू हाशिए पे देख वर्ना…"
Nov 27
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"इस्लाह के बाद कुछ बदलाव-- है मतलबी ये कहाँ सोचेगी किसी के लिए नहीं करेगी ये सरकार जितना करना है 2 दिमाग़ मुझको ये समझा रहा है रख हिम्मत किसी भी हाल में हद से नहीं गुज़रना है 3 न दूसरों के लिए वक़्त को करो ज़ाए'तुम्हें जो चाहें बस…"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीया रचना जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह लाज़वाब हुई है अमित जी , संचय जी की इस्लाह से ग़ज़ल और भी निखर जाएगी सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ज़बर्दस्त हुई है ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी से सहमत हूँ ये शेर और साफ़ हो सकता है, गिरह मतला ख़ूब हैं सादर "
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीया रचना जी बहुत शुक्रिया आपका, हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
Oct 26

Profile Information

Gender
Female
City State
Faridabad Haryana
Native Place
Alaahabad U.P.
Profession
home maker
About me
computer engineer by heart Shayar

Richa Yadav's Blog

ग़ज़ल-हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती।

221 2121 1221 212



हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती

करके कोई दुआ भी यूँ गाई नहीं जाती।1

दिल आपकेे है बस में ये अब जानते हैं हम

जादूगरी ऐसी भी दिखाई नहीं जाती।2

हैं दर्द-ओ-ग़म भरे हुए इतने कि क्या कहें

ये दास्तान दिल की सुनाई नहीं जाती।3

ये बदगुमानी आपकी आई है बीच में

बिगड़ी है इतनी बात बनाई नहीं जाती।4

फिर साथ होगी होली दीवाली की धूम भी

हमसे अकेले ईद मनाई नहीं जाती।5

दिल आपका दुखा तो…

Continue

Posted on December 7, 2020 at 1:29pm — 4 Comments

मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया

बह्र:- 221 2121 1221 212

मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया

मुद्दत हुई तो यार का दीदार हो गया

वो जो चला गया है मेरा शह्र छोड़ कर

लगता है ऐसा मुझको मैं बीमार हो गया

बेमोल ही रहे न किया ज़िंदगी से ग़म

तूने छुआ मुझे तो मैं दीनार हो गया

था मर्ज़ ऐसा जिसकी नहीं थी दवा कोई

तू हाथ थाम कर मेरा तीमार हो गया

तूने गले लगाया "रिया" को मेरे ख़ुदा

लगता है जैसे क़द मेरा मीनार हो गया

"मौलिक व…

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Posted on October 30, 2020 at 3:30pm — 10 Comments

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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
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"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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