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Richa Yadav
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Welcome, Richa Yadav "Riya"

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Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"इस्लाह के बाद कुछ बदलाव-- है मतलबी ये कहाँ सोचेगी किसी के लिए नहीं करेगी ये सरकार जितना करना है 2 दिमाग़ मुझको ये समझा रहा है रख हिम्मत किसी भी हाल में हद से नहीं गुज़रना है 3 न दूसरों के लिए वक़्त को करो ज़ाए'तुम्हें जो चाहें बस…"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीया रचना जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह लाज़वाब हुई है अमित जी , संचय जी की इस्लाह से ग़ज़ल और भी निखर जाएगी सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ज़बर्दस्त हुई है ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी से सहमत हूँ ये शेर और साफ़ हो सकता है, गिरह मतला ख़ूब हैं सादर "
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीया रचना जी बहुत शुक्रिया आपका, हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका हमेशा की तरफ बारीक़ी से हर बात बताने के लिए एक मतले की कोशिश की है देखियेगा कृपया सादर किसी के दिल में अगर आपको उतरना है तो उससे पहले निगाहों को चार करना है"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"अदरणीय दिनेश जी नमस्कार  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की टिप्पणी से सीखने को भी मिला मुझे आपने भी सुधार खूब किए गिरह अच्छी लगी सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीर जी मेरी समझ जितनी है उस हिसाब से मुझे ये शेर दुरुस्त लगा सादर"
Oct 26
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह बहुत ही ख़ूब हुई। अमित जी की टिप्पणी से सहमत हूँ ,सीखने को मिलता है आप सब की कही बातों से सादर"
Oct 25
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार कीजिये  अमित जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर हैं और गिरह ज़बर्दस्त हो गयी है इस्लाह के बाद,देखियेगा सादर"
Oct 25
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"आदरणीय सर जी नमस्कार अपना ख़याल रखिए, सेहतमंद रहिए यही दुआ है सादर"
Oct 25
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"1212 1122 1212 22 किसान बैठे हैं कब से शुरू ये धरना है लड़ेंगे हक़ के लिए वो उन्हें न डरना है 1 है गूँगी बहरी नहीं सोचती किसी के लिए  करेगी उतना ही सरकार को जो करना है 2 सलीक़ा मुझको ये समझा रहा है रख हिम्मत  किसी भी हाल में हद से नहीं…"
Oct 25

Profile Information

Gender
Female
City State
Faridabad Haryana
Native Place
Alaahabad U.P.
Profession
home maker
About me
computer engineer by heart Shayar

Richa Yadav's Blog

ग़ज़ल-हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती।

221 2121 1221 212



हर बात अपने दिल की बताई नहीं जाती

करके कोई दुआ भी यूँ गाई नहीं जाती।1

दिल आपकेे है बस में ये अब जानते हैं हम

जादूगरी ऐसी भी दिखाई नहीं जाती।2

हैं दर्द-ओ-ग़म भरे हुए इतने कि क्या कहें

ये दास्तान दिल की सुनाई नहीं जाती।3

ये बदगुमानी आपकी आई है बीच में

बिगड़ी है इतनी बात बनाई नहीं जाती।4

फिर साथ होगी होली दीवाली की धूम भी

हमसे अकेले ईद मनाई नहीं जाती।5

दिल आपका दुखा तो…

Continue

Posted on December 7, 2020 at 1:29pm — 4 Comments

मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया

बह्र:- 221 2121 1221 212

मिस्मार दिल का ये दर-ओ-दीवार हो गया

मुद्दत हुई तो यार का दीदार हो गया

वो जो चला गया है मेरा शह्र छोड़ कर

लगता है ऐसा मुझको मैं बीमार हो गया

बेमोल ही रहे न किया ज़िंदगी से ग़म

तूने छुआ मुझे तो मैं दीनार हो गया

था मर्ज़ ऐसा जिसकी नहीं थी दवा कोई

तू हाथ थाम कर मेरा तीमार हो गया

तूने गले लगाया "रिया" को मेरे ख़ुदा

लगता है जैसे क़द मेरा मीनार हो गया

"मौलिक व…

Continue

Posted on October 30, 2020 at 3:30pm — 10 Comments

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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