For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SUMIT PRATAP SINGH
  • Male
  • Delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

SUMIT PRATAP SINGH's Friends

  • annapurna bajpai

SUMIT PRATAP SINGH's Groups

 

SUMIT PRATAP SINGH's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
NEW DELHI
Native Place
U.P.
Profession
GOVERNMENT SERVANT
About me
I AM A POET AND WRITER

SUMIT PRATAP SINGH's Photos

  • Add Photos
  • View All

SUMIT PRATAP SINGH's Videos

  • Add Videos
  • View All

SUMIT PRATAP SINGH's Blog

पुढील स्टेशन (लघु कथा)

तेज लोकल में मध्यम ध्वनि गूँजी, “पुढील स्टेशन अँधेरी”.

“यार ये पुढील स्टेशन का मतलब पुलिस स्टेशन है क्या”? देव ने अजय से पूछा.

अजय बोला, “पता नहीं यार. मैंने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया”.

तभी उनके बगल में खड़ा एक लड़का बोला, “तुम साला भैया लोग यहाँ बस तो जाता है, लेकिन यहाँ का लैंग्वेज सीखने में तुम्हारा नानी मरता है”.

“ए छोकरा ये बातें नेता लोग…

Continue

Posted on October 2, 2012 at 11:30am — 10 Comments

गिरगिट ( लघु कथा )



        चतुर चंद ने मोहल्ले के चबूतरे पर बैठकर प्रवचन देना आरंभ कर दिया था. वह गंभीरता का ढोंग धारण करते हुए बोले, “भक्त जनो! मानव के भीतर भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवों का वास है.” …



Continue

Posted on August 9, 2012 at 12:00pm — 2 Comments

एक पत्र रक्त देवता के नाम

प्यारे रक्त देवता

सादर जीवनदानस्ते!

आपके जीवनदायिनी रूप को नमन करते हुए पत्र प्रारम्भ करता हूँ। अब आप सोचते-सोचते अपना सिर खुजा रहे होंगे, कि आपको इस तुच्छ प्राणी ने भला देवता क्यों कह दिया? देखिए मैं भारत देश का वासी हूँ और यहाँ जगह-जगह थान बनाकर और हर ऐरे-गैरे नत्थू खैरे की मज़ार बनाकर जब पूजा व सिज़दा किया जा सकता है, तो आपको देवता के…

Continue

Posted on June 19, 2012 at 12:26pm — 6 Comments

यात्रा संस्मरण: लुटेरे हैं दरबारी पहाड़ों वाली के

दाएँ से पिंडी रूप में माँ काली, माँ वैष्णो व माँ सरस्वती

      माँ वैष्णों देवी…

Continue

Posted on June 17, 2012 at 5:00pm — 6 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:01pm on September 4, 2013, annapurna bajpai said…

आपकी प्रोफाइल देख कर लगता है की आप ही मुझसे पुराने है यहाँ , परंतु आपको अभी तक  नहीं पाया । 

At 8:58pm on September 4, 2013, annapurna bajpai said…

पहले तो आपका ओ बी ओ परिवार मे स्वागत है , मै यहाँ काफी समय से हूँ आपने कब ज्वाइन किया । 

At 11:18am on November 30, 2011, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
21 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ये ही खाना यूँ पहनना ऐसे चलना चाहिए औरतों पर इस तरह का सुर बदलना चाहिए सर झुकाकर ज़ुल्म के जो साथ…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"हर शेर खूबसूरत है। गिरह का शेर भी खूबसूरत हुआ, इसमें जो दोष है उसमें आपका कोई दोष नहीं, वह तो दिये…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए १ खूबसूरत शेर हुआ है…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"रात से मिलने को  दिन  तो यार ढलना चाहिए खुशनुमा हो चाँद को फिर से निकलना चाहिए।१। इसकी…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"ग़ज़ल ठोकरें खाकर नई अब राह चलना चाहिएआदमी को कर्म के सांचे में ढलना चाहिए। —मेहनतकश की सदा…"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"२१२२ २१२२ २१२२ २१२ अब तुम्हारी भी रगों में खूँ उबलना चाहिए ज़ुल्म करने वालों का सीना दहलना…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इसमें एडमिन की सहायता लगेगी आपको।"
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"अभी तो तात्कालिक सरल हल यही है कि इसी ग़ज़ल के किसी भी अन्य शेर की द्वितीय पंक्ति को गिरह के शेर…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. तिलकराज सर, मैंने ग़ज़ल की बारीकियां इसी मंच से और आप की कक्षा से ही सीखीं हैं। बहुत विनम्रता के…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service