मेरी जिंदगी एक खुली किताब है
हर पन्ने पे तेरा नाम है ।
मैं रहूँ न रहूँ ,परवाह नहीं है
जिंदगी मेरी तुम्हारे नाम है ।
जब कभी ख्यालों की आँधी उठेगी
तन्हाई में मेरी आवाज़ गूँजेगी
परछाईं बनकर…
ContinueAdded by kavita vikas on March 19, 2012 at 10:00pm — 5 Comments
वक़्त का वज़ूद
वक़्त की बेलगाम रफ़्तार का वज़ूद
दिखता है चेहरे की गहराती लकीरों में
या मिलता है जीवन की भूलभुलैया में
स्नेहसिक्त माँ की आँचल में मौज़ूद
है अब भी मेरे होने की महक
सन्नाटों में गूँजती है मेरी चहक ।
चलती थी एक गुड़िया उँगलियों को थामे
उन काँपती बेजान हाथों की नरमी
और छुपी उनमे उनके नेह की गरम
उन्हीं थापों से बीतती हैं रातें ,हँसती है शामें ।
चराचर का भेद समझा जब ज्ञानदीप से
जीवन को गुज़रता देखा सामने से
अतीत के गर्त में…
Added by kavita vikas on March 2, 2012 at 7:34pm — 6 Comments
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