Added by Vivek Kumar on April 28, 2017 at 1:23pm — 3 Comments
माना तेरा परिचय रूप है श्रंगार है.. पर,
मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है |
सब पीर हैं तुझसे तृषित संसार की..
पर कैद सीने मे तेरे भी सहन का भण्डार है |
तू मूर्त है अभिमान की और गर्व भी अपार है,
तोड़ पैरों की बेड़ियाँ ये तेरा भी संसार है |
प्रेम की ओढ़े चुनरिया तू त्याग का गुबार है,
मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है ||
गर जमीर तेरा साफ है तो जरूरत नही प्रमाण की,
कि दर्द तेरा हार और परिस्थिति श्रंगार है |
दुनिया ने देखी है तेरी सौंदर्य की…
Added by Vivek Kumar on April 27, 2017 at 10:30pm — 2 Comments
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