For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चला गया ये बचपन बनके यादों का बराती

शीर्षक : चला गया ये बचपन बनके यादों का बराती

" बचपन. .. के दिन हमने भी.. थे देखे
जवानी की रातें हमने भी.. हैं काटी ..
बलखा के गिरती .. वो लाखों पतंगे ,
डगमगा के चलती हुयी.. ये जवानी... |
फुदकता-उछलता .. मन वो हमारा ..
थिरकती दिलों पे.. ये अब की रवानी ,
कि पापा के कांधे पे गुजरा..वो ऑगन..
तकिये भिगोता अब के रातों का सावन |
माँ के आँचल.. तले बीते हुये वो लम्हें ..
कि कॉलेज.. मे होते वो नयन.. ईशारे ,
कि रंगों से दिवारों पे.. चित्रकारी बनाना..
घण्टों आईनों मे .. अब खुद को सजाना ..
कि होठों से बुलबुलों.. के फब्हारे उड़ाना,
सपनों में अब संग परियों के घरौंदे बसाना ..
अब चाहिये नही मुझको ..ये बेरहम जवानी ,कि
लौटा दो हमको वो बचपन.. की खोई रवानी ||
झूमती वो खेतों की रंगत.. रातों की कहानी ,
रोने पर मिलती वो माँ की ममता भरी बिसातें ..
और बारिस मे .. चलती वों नावें हमारी !!!
भीगते बदन पे .. आती ओलों की ठंडक ..
आग लगाती ये मानों बदन मे जवानी ... !!
लौटा दो हमको, हमारी वो अनमोल निशानी ,
हाथों से क्षण-क्षण गुजरती ये जवानी ..
बन जायेगी इक दिन इसमे कोई कहानी ..
न जीकर भी मरने देगी ये मेरी जवानी !!!
जो आके .. गुजर जायेगा ये बचपन ,
न मिलने वाली ये बिसरीं यादें पुरानी..
कब थीं सुनी बंदर- बिल्ले की कहानी ,
न जाने फिर कब सुनूँगा माँ के होठों से लोरी ||
गुजर जाय जो ये बचपन.. न रह जायेगी जिन्दगानी ,
जुर्म ढ़ाएगी ये अब ये नाशपीटी ..जवानी !!!
उतर जायेगा कल को ये ऊबलता नशा .. आएगा ये बचपन बनके यादों में बराती !!!
लौटा दो हमारी वो अनमोल ... निशानी ....
कि न रोका जाता हमसे ये आँखों का पानी || "


#विवेक_कुमार

फरवरी 24, 2017
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vivek Kumar on May 23, 2017 at 8:04pm

thanku #arif_sir

Comment by Mohammed Arif on May 1, 2017 at 2:06pm
प्रिय विवेक जी आदाब, रचना प्रक्रिया का बेहतरीन प्रयास । आपके अंदर काफी रतनाधर्मिता की संभावनाएँ है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 9:57am

आ. विवेक भाई . इस रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ । किसी विधा विशेष मे रचना करें तो बेहतर होता ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service