For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है

माना तेरा परिचय रूप है श्रंगार है.. पर,
मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है |
सब पीर हैं तुझसे तृषित संसार की..
पर कैद सीने मे तेरे भी सहन का भण्डार है |
तू मूर्त है अभिमान की और गर्व भी अपार है,
तोड़ पैरों की बेड़ियाँ ये तेरा भी संसार है |
प्रेम की ओढ़े चुनरिया तू त्याग का गुबार है,
मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है ||
गर जमीर तेरा साफ है तो जरूरत नही प्रमाण की,
कि दर्द तेरा हार और परिस्थिति श्रंगार है |
दुनिया ने देखी है तेरी सौंदर्य की सुरम्यता,
चल दिखा दे आज उनको छिपी तुझमें भी कटार है |
चाहें लाख माने ये दुनिया कि तू छाया है पुरूषत्व की,
पर देख अपने हाथ मे त्रिशूल को, तू शेर पे सवार है|
छाती से उठती चीख को आवाज देने मे कोई हर्ज नहीं,
बयां करने का हक है तुझको,आखिर तू भी इक इंसान है |
मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है ||
वक्त की ये असंख्य जंजीरे पांव से लिपटीं रहेंगी ,
पिघाल के जब अस्त्र इनको बना ले,वहीं तेरा सम्मान है |
न बैठ किसी की आड़ में बचने को वहशी संसार से,
सामने आ संघर्ष कर कि खुद को तेरे वजूद की तलाश है |
बराबरी करने का हक तुझको भी है ,औरों को भी ,
फिर क्यूं करने त्याग को ..पीछे पड़ा तेरे संसार है |
आ रही हर चुनौती का हाथों से दोनों सत्कार कर ,
सोचे जिसे जो सोंचना है, सोंच पर उनकी तुझे धिक्कार है ||
माना तेरा परिचय रूप है श्रंगार है.. पर,
मत भूल तुझमें रक्त का दौड़ता उबाल है ||

#विवेक_कुमार

April 10, 2017

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 554

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 9:54am

आदरनीय विवेक भाई , सुन्दर भाव अभिव्यक्ति हुई है , बधाई । लेकिन इस रचना को किस विधा के सापेक्ष रख कर बात करें .. समझ नही आया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 28, 2017 at 1:32pm

अच्छी भावाभिव्यक्ति है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service