जिन्हें जन्म दिया
पाला-पोसा बड़ा किया
उन्हीं जिगर के टुकड़ों ने
माँ –बाप को घर से निकाल दिया
संगम पर मिली मुझे इक बेबस माँ
वो मेरे साथ होली
इक रोटी मांगी और बोली
“ मैं अनपढ़ हूँ भिखारिन नहीं हूँ ,
पिछले बरस मेरा बेटा मुझको यहाँ छोड़ गया है ,
तबसे उसका इंतज़ार करती हूँ ,
हर आने जाने वाले से रोटी मांगकर ,
उसका पता पूछती हूँ ”
हाय ! वृद्धा माँ से छुटकारा पाने के लिए
बेटा माँ…
ContinueAdded by vijayashree on June 13, 2013 at 5:00pm — 17 Comments
कल ही की तो बात है
अध्यापन शुरू किया था मैंने
आज आया है एक नया सवेरा
विदाई समारोह होना है मेरा
समय चक्र घूमता ही रहता
हमें इसका आभास न होता
पर सच्चाई यही थी
सहकर्मियों व कर्मस्थली से
होनी मेरी आज विदाई थी
जीवन में आनेवाली शून्यता का
अहसास हो रहा था
इस पीड़ा को व्यक्त करना
शब्दों में असंभव था
खैर ..विदाई तो होनी थी हो गई
मेरी कर्मस्थली मुझसे जुदा हो गई
अब क्या करूँ ..कैसे करूँ…
ContinueAdded by vijayashree on June 13, 2013 at 12:56pm — 11 Comments
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