For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौ  मौलिक व अप्रकाशित

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2013 at 7:42am

अपनी-अपनी सी कविता है.  बधाई आदरणीया विजयाश्री जी

Comment by vijayashree on April 9, 2013 at 2:54pm

आभार .........डॉ प्राची

         ...........सावित्री राठौर जी

Comment by Savitri Rathore on April 7, 2013 at 12:09am

बड़े सहज-सरल शब्दों में आपने नारी-जीवन की विषम परिस्थितियों का चित्रण किया है,साथ ही एक माँ की पीड़ा को भी स्वर प्रदान किया है।विजयाश्री जी इस मर्मभेदी रचना हेतु आप प्रशंसा की पात्रा हैं।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2013 at 7:02pm

माँ के बुलावे में एक अलग ही कशिश होती है, जिसे बेटी का ह्रदय शायद न समझ पाए पर एक माँ का ह्रदय बखूबी समझता है...

सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया विजयश्री जी 

Comment by vijayashree on April 5, 2013 at 4:56pm

मीना पाठकजी शुक्रिया ....मेरी आँखें भी भर आई थी लिखते -लिखते

Comment by vijayashree on April 5, 2013 at 4:54pm

अरुण शर्मा 'अनन्त' जी रचना संज्ञान के लिए शुक्रिया . माँ की याद आना स्वाभाविक है ...माँ का साथ और आशीर्वाद ()तो हमेशा बच्चों के साथ होता है ....वो पास हो या दूर

Comment by Meena Pathak on April 5, 2013 at 4:44pm

आंखें भीग गईं आप की रचना पढ़ कर ... बहुत बहुत बधाई इस मार्मिक रचना के लिए 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 5, 2013 at 4:31pm

आदरेया सादर प्रणाम इस प्रस्तुति पर आपको ढेरों बधाई और कुछ कहूँगा नहीं क्षमता नहीं है कुछ भी कहने की जब भी माँ की बात आती है माँ की बहुत याद आती है, सोंचने समझे कहने की क्षमता ख़तम हो जाती है मस्तिष्क शुन्य हो जाता है.

Comment by vijayashree on April 5, 2013 at 4:14pm

Ashok Kumar Raktale जी , ram shiromani pathak जी ,vijay nikore जी , Laxman Prasad Ladiwala जी , Kewal Prasad जी , SANDEEP KUMAR PATEL जी .....रचना संज्ञान और के लिए शुक्रिया .

 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 5, 2013 at 1:04pm

आदरणीया बहुत सुन्दर मार्मिक रचना, हम कहते हैं बेटियों को पराया न कहो मगर तब यही बातें बेटी को पराया बना देती हैं. फिर माँ तो कह कर बुला भी लेती है. पिता शायद कह भी नहीं पाते.बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service