खाली हो गई हूँ
इच्छाओं से, आशाओं से
व्यर्थ विचारों से
निरर्थक प्रवाहों से
अस्थिर लगावों से
अनर्गल खिंचावों से
आधुनिक चकाचौंध से
कौन जाने, मौत
कब दरवाजा खटखटा दे
साथ ले जाने को
किन्तु वह क्या साथ
ले जा पाएगी ?
वह तो पंच तत्वों में
तन को मिलाएगी
मुझे ना मार पाएगी
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on September 16, 2021 at 10:59pm — 6 Comments
जिजीवषा जो इन्सा की
वह नहीं कभी भी हारेगी
जन-जन तक पहुँचाने सुविधा
अपने श्रम बल को वारेगी
उत्पाती कोरोना की यह
सघन श्रृंखला टूटेगी
जकड़न से पाश मुक्त होकर
मानवी हताशा छूटेगी
गहन बुद्धि अन्वेषण से
वैज्ञानिक युक्ति निकालेगा
निर्मित कर अचूक औषधियाँ
इसको तो जड़ से मारेगा
भय जाएगा मन से समूल
कीटाणु सर्वदा हारेगा
मास्क, शुद्धता, शारीरिक
दूरी का भूत…
ContinueAdded by Usha Awasthi on September 8, 2021 at 9:58pm — 4 Comments
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