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ब्राहम्ण
उषा अवस्थी
मान दिया होता यदि तुमने
ब्राम्हण को , सुविचारों को
सदगुण की तलवार काटती
निर्लज्जी व्यभिचारों को
उसको काया मत समझो ,
ज्ञान विज्ञान समन्वय है
द्वैत भाव से मुक्त, जितेन्द्रिय
सत्यप्रतिज्ञ , समुच्चय है
कर्म , वचन , मन से पावन
वह ब्रम्हपथी , समदर्शी है
नहीं जन्म से , सतत कर्म से
तेजस्वी , ब्रम्हर्षि है
मौलिक एवं अप्रकाशित
कुछ उक्तियाँ
उषा अवस्थी
आज 'गधे' को पीट कर
'घोड़ा' दिया बनाय
कल फिर तुम क्या करोगे
जब रेंकेगा जाय?
कैसे - कैसे लोग है
कैसे - कैसे घाघ?…
Posted on July 6, 2022 at 3:30pm
सत्य
उषा अवस्थी
असत्य को धार देकर
बढ़ाने का ख़ुमार हो गया है
स्वस्थ परिचर्चा को
ग़लत दिशा देना
लोगों की आदत में
शुमार हो गया है।
असत्य के महल खड़े कर
खिल्ली मत उड़ाओ
अनेकानेक झूठ को
सत्य से,धूल चटाओ
शास्त्र वाक्यों को दोराकर
अभिमान मत जताओ
कर्म में परिणित करो
व्यर्थ मत,समय गँवाओ
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on July 1, 2022 at 7:05pm — 2 Comments
सुन्दर रचना केलिये हार्दिक अभिनंदन सुश्री उषा अवस्थिजी ।
ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए.... |
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