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Usha Awasthi
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Usha Awasthi's blog post ज़हरीला परिवेश
"आदरणीया उषा जी, परिवेश पर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
Sunday
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post असत्य स्वीकार नहीं
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, हार्दिक आभार आपका।"
May 16

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Usha Awasthi's blog post असत्य स्वीकार नहीं
"आदरणीय उषा अवस्थी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर."
May 16
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ज़हरीला परिवेश

बाहर तपती धूप है , हवा चले , ले रेतमनुज न फिर भी चेतता,होता जीव अचेतभीषण बाढ़ें कर रहीं घर संग फसल तबाहमेहनतकश किसान का,किस विधि हो निर्वाह?शब्दों कर्मों में नहीं दिखता सामंजस्यधरती जो है उर्वरा, कहते ऊसर व्यर्थउस पर वह बनवा रहे सुखद, मनोरम 'स्यूट'बिल्डर , माननीय मिल,जमकर करते लूटअभिभाषण में कह रहे पर्यावरण बचावकटवाएँ खुद तरु,विटप, देते नित्य सुझावकथनी करनी में बड़ा अन्तर दिखे विशेषकुटिल बुद्धि, हिंसा,अमर्ष, ज़हरीला परिवेश(कुछ दिनों पूर्व यह समाचार था कि खेती की भूमि को ऊसर बता कर,बिल्डर मिली…See More
May 9
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post जीवन और सत्य
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
May 2
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post श्रम चोर
"आ0 लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, हार्दिक धन्यवाद आपका"
Apr 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post श्रम चोर
"आ. ऊषा जी,  अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Apr 30
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Apr 28
Usha Awasthi posted a blog post

जीवन और सत्य

उषा अवस्थीक्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँवजिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँवकरुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेकजन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेषजीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्धइच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्धजिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्तपार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्धमौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Apr 28
Usha Awasthi posted a blog post

असत्य स्वीकार नहीं

उषा अवस्थीधरा पाँव जब सत्य मार्ग परमुश्किल पथ,आसान नहींसही वस्तु की ग़लत व्याख्याइस मन का आधार नहींतीव्र धार की असि ग्रीवा परहो, असत्य स्वीकार नहींशान्त,अडिग,निःशंक,अकेला"मै", लव भर का भार नहींदृष्टा पर अवलम्ब दृश्यदृष्टा तो मुक्त , विकार नहींअकथ,अलौकिक,अतुल,अनामयको मिथ्या स्वीकार्य नहींमौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Apr 19
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Apr 13
Usha Awasthi posted a blog post

श्रम चोर

उषा अवस्थीसुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आपतोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काजभगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्मदूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्ममाली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधामफुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राममन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोरगलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोरपाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई औरनष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच झकझोरत्रेता, द्वापर युग रहे विपुल बगीचे , बाग़हरियाली,"सौन्दर्य," की रक्षा करनी आजडाली पर शोभा अतुल ,भरते नव उल्लासकोमल,सुरभित…See More
Apr 13
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, हार्दिक धन्यवाद आपका।"
Feb 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Feb 12
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"आदरणीय समर कबीर साहेब , हार्दिक आभार आपका।"
Feb 9
Samar kabeer commented on Usha Awasthi's blog post मन कैसे-कैसे घरौंदे बनाता है?
"मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें I "
Feb 8

Profile Information

Gender
Female
City State
Lucknow
Native Place
Uttar Pradesh
Profession
Author

ब्राहम्ण

उषा अवस्थी

मान दिया होता यदि तुमने
ब्राम्हण को , सुविचारों को
सदगुण की तलवार काटती
निर्लज्जी व्यभिचारों को

उसको काया मत समझो ,
ज्ञान विज्ञान समन्वय है
द्वैत भाव से मुक्त, जितेन्द्रिय
सत्यप्रतिज्ञ , समुच्चय है

कर्म , वचन , मन से पावन
वह ब्रम्हपथी , समदर्शी है
नहीं जन्म से , सतत कर्म से
तेजस्वी , ब्रम्हर्षि है

मौलिक एवं अप्रकाशित

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ज़हरीला परिवेश

बाहर तपती धूप है , हवा चले , ले रेत

मनुज न फिर भी चेतता,होता जीव अचेत

भीषण बाढ़ें कर रहीं घर संग फसल तबाह

मेहनतकश किसान का,किस विधि हो निर्वाह?

शब्दों कर्मों में नहीं दिखता सामंजस्य

धरती जो है उर्वरा, कहते ऊसर व्यर्थ

उस पर वह बनवा रहे सुखद, मनोरम 'स्यूट'

बिल्डर , माननीय मिल,जमकर करते लूट

अभिभाषण में कह रहे पर्यावरण बचाव

कटवाएँ खुद तरु,विटप, देते नित्य सुझाव

कथनी करनी में बड़ा अन्तर…

Continue

Posted on May 9, 2023 at 4:00pm — 1 Comment

जीवन और सत्य

उषा अवस्थी

क्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँव

जिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँव

करुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेक

जन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेष

जीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्ध

इच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्ध

जिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्त

पार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्ध

मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on April 28, 2023 at 10:00am — 1 Comment

असत्य स्वीकार नहीं

उषा अवस्थी

धरा पाँव जब सत्य मार्ग पर
मुश्किल पथ,आसान नहीं

सही वस्तु की ग़लत व्याख्या
इस मन का आधार नहीं

तीव्र धार की असि ग्रीवा पर
हो, असत्य स्वीकार नहीं

शान्त,अडिग,निःशंक,अकेला
"मै", लव भर का भार नहीं

दृष्टा पर अवलम्ब दृश्य
दृष्टा तो मुक्त , विकार नहीं

अकथ,अलौकिक,अतुल,अनामय
को मिथ्या स्वीकार्य नहीं

मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on April 19, 2023 at 10:22pm — 2 Comments

श्रम चोर

उषा अवस्थी

सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप

तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज

भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म

दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म

माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम

फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम

मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर

गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर

पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और

नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच…

Continue

Posted on April 13, 2023 at 5:58pm — 2 Comments

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At 6:29am on August 5, 2018, Kishorekant said…

सुन्दर रचना केलिये हार्दिक अभिनंदन सुश्री उषा अवस्थिजी ।

At 9:01pm on September 9, 2017,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए....

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

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