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ब्राहम्ण
उषा अवस्थी
मान दिया होता यदि तुमने
ब्राम्हण को , सुविचारों को
सदगुण की तलवार काटती
निर्लज्जी व्यभिचारों को
उसको काया मत समझो ,
ज्ञान विज्ञान समन्वय है
द्वैत भाव से मुक्त, जितेन्द्रिय
सत्यप्रतिज्ञ , समुच्चय है
कर्म , वचन , मन से पावन
वह ब्रम्हपथी , समदर्शी है
नहीं जन्म से , सतत कर्म से
तेजस्वी , ब्रम्हर्षि है
मौलिक एवं अप्रकाशित
बाहर तपती धूप है , हवा चले , ले रेत
मनुज न फिर भी चेतता,होता जीव अचेत
भीषण बाढ़ें कर रहीं घर संग फसल तबाह
मेहनतकश किसान का,किस विधि हो निर्वाह?
शब्दों कर्मों में नहीं दिखता सामंजस्य
धरती जो है उर्वरा, कहते ऊसर व्यर्थ
उस पर वह बनवा रहे सुखद, मनोरम 'स्यूट'
बिल्डर , माननीय मिल,जमकर करते लूट
अभिभाषण में कह रहे पर्यावरण बचाव
कटवाएँ खुद तरु,विटप, देते नित्य सुझाव
कथनी करनी में बड़ा अन्तर…
ContinuePosted on May 9, 2023 at 4:00pm — 1 Comment
उषा अवस्थी
क्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँव
जिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँव
करुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेक
जन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेष
जीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्ध
इच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्ध
जिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्त
पार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्ध
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on April 28, 2023 at 10:00am — 1 Comment
Posted on April 19, 2023 at 10:22pm — 2 Comments
उषा अवस्थी
सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप
तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज
भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म
दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म
माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम
फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम
मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर
गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर
पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और
नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच…
ContinuePosted on April 13, 2023 at 5:58pm — 2 Comments
सुन्दर रचना केलिये हार्दिक अभिनंदन सुश्री उषा अवस्थिजी ।
ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए.... |
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