पल सुनहरी सुबह के खोयेंगें हम
और कितनी देर तक सोयेंगें हम।
रात काली तो कभी की जा चुकी
अब अँधेरा कब तलक ढोयेंगे हम।
जुगनुओं जैसा चमकना सीख लें
रोशनी के बीज फिर बोयेंगे…
Added by अजय गुप्ता 'अजेय on September 19, 2020 at 11:20pm — 16 Comments
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