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Dr. Rakesh Joshi's Blog – October 2014 Archive (2)

मैं गीतों को भी अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ (डॉ. राकेश जोशी)

मैं गीतों को भी अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ
हरेक फूल को मैं कँवल लिख रहा हूँ

कभी आज पर ही यकीं था मुझे भी
मगर आज को अब मैं कल लिख रहा हूँ

बहुत कीमती हैं ये आँसू तुम्हारे
तभी आँसुओं को मैं जल लिख रहा हूँ

लिखा है बहुत ही कठिन ज़िंदगी ने
तभी आजकल मैं सरल लिख रहा हूँ

समय चल रहा है मैं तन्हा खड़ा हूँ
सदियाँ गँवाकर मैं पल लिख रहा हूँ

मैं बदला हूँ इतना कि अब हर जगह पर
तू भी तो थोड़ा बदल लिख रहा हूँ

"मौलिक व अप्रकाशित"

Added by Dr. Rakesh Joshi on October 19, 2014 at 5:30pm — 6 Comments

दो ग़ज़लें (डॉ. राकेश जोशी)

दो ग़ज़लें (डॉ. राकेश जोशी)



1

सब मिला है पर यहाँ सदभाव की बातें नहीं

गाँव का मौसम है लेकिन गाँव की बातें नहीं



आ, यहाँ पर बैठकर सुस्ता लें थोड़ी देर हम

धूप की बातें करेंगे, छाँव की बातें नहीं



इससे ज़्यादा क्या लिखें, इस दौर की नाकामियां

इस अँधेरे युग में भी बदलाव की बातें नहीं



दूर से ही ठीक था फैला समुंदर देखना

अब लहर के पास आकर नाव की बातें नहीं



बाद बरसों के मिले तो दोस्त बनकर हम मिलें

दर्द की बातें तो हों, पर घाव… Continue

Added by Dr. Rakesh Joshi on October 12, 2014 at 5:27pm — 7 Comments

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