मैं गीतों को भी अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ
हरेक फूल को मैं कँवल लिख रहा हूँ
कभी आज पर ही यकीं था मुझे भी
मगर आज को अब मैं कल लिख रहा हूँ
बहुत कीमती हैं ये आँसू तुम्हारे
तभी आँसुओं को मैं जल लिख रहा हूँ
लिखा है बहुत ही कठिन ज़िंदगी ने
तभी आजकल मैं सरल लिख रहा हूँ
समय चल रहा है मैं तन्हा खड़ा हूँ
सदियाँ गँवाकर मैं पल लिख रहा हूँ
मैं बदला हूँ इतना कि अब हर जगह पर
तू भी तो थोड़ा बदल लिख रहा हूँ
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
बहुत उम्दा
हार्दिक बधाई
ACHHEE RACHNAA MITRA - BADHAAEE
आदरणीय
सुन्दर है
लिखा है बहुत कठिन ज़िन्दगी ने
इसलिए सब कुछ सरल लिख रहा हूँ
बहुत सुंदर सार्थक गीत
मैं बदला हूँ इतना कि अब हर जगह पर
तू भी तो थोड़ा बदल लिख रहा हूँ
बहुत ही सरल सा ये हल लिख रहा हूँ. .. बहुत ही सुंदर!
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