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मैं गीतों को भी अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ (डॉ. राकेश जोशी)

मैं गीतों को भी अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ
हरेक फूल को मैं कँवल लिख रहा हूँ

कभी आज पर ही यकीं था मुझे भी
मगर आज को अब मैं कल लिख रहा हूँ

बहुत कीमती हैं ये आँसू तुम्हारे
तभी आँसुओं को मैं जल लिख रहा हूँ

लिखा है बहुत ही कठिन ज़िंदगी ने
तभी आजकल मैं सरल लिख रहा हूँ

समय चल रहा है मैं तन्हा खड़ा हूँ
सदियाँ गँवाकर मैं पल लिख रहा हूँ

मैं बदला हूँ इतना कि अब हर जगह पर
तू भी तो थोड़ा बदल लिख रहा हूँ

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 745

Comment

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Comment by Ajay Agyat on November 30, 2014 at 5:17pm

बहुत उम्दा 

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:50pm

हार्दिक बधाई 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 24, 2014 at 2:19pm

ACHHEE RACHNAA MITRA - BADHAAEE

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 20, 2014 at 4:17pm

आदरणीय

सुन्दर है

Comment by somesh kumar on October 19, 2014 at 10:43pm

लिखा है बहुत कठिन ज़िन्दगी ने 

इसलिए सब कुछ सरल लिख रहा हूँ 

बहुत सुंदर सार्थक गीत 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 19, 2014 at 8:04pm

मैं बदला हूँ इतना कि अब हर जगह पर
तू भी तो थोड़ा बदल लिख रहा हूँ

बहुत ही सरल सा ये हल लिख रहा हूँ.  .. बहुत ही सुंदर!

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