अधरों बिच बात छुपाय रही इनसे न कही उनसे न कही
पिय प्यार दुलार निहार सखी नयनो बिच धार हमार बही
सब राज कहें नयना पिय से अधरों बिच बात छुपी न रही
यह प्रीतहि रीत अनूठि सखी सब हारहि जीतहि एक सही
चिदानन्द शुक्ल "संदोह "
Added by Chidanand Shukla on November 8, 2012 at 11:30am — 2 Comments
छम छम करे हरी पाँव पैजनि ,, करधनी कटि साजती
चलते ठुमुक नन्द लाल निरखति,, काम कोटिन लाजती
यों लाग माखन देखि मुख हरि ,, काग मन लालच भयो
जूठन मिले जो आज हरि मुख ,, सोच आँगन वह गयो
Added by Chidanand Shukla on November 5, 2012 at 1:42pm — 2 Comments
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