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Anand pandey tanha's Blog – November 2010 Archive (1)

गीत

हमने जो घर-घर में देखा,

उन बातों का यही निचोड़

जीवन है इक बाधा दौड़.



चाहे कितनी करो कमाई,

सब कुछ खा जाती मंहगाई.

दस-पंद्रह दिन में चुक जाती.

एक मॉस की पाई -पाई.

ओवर-इनकम नहीं जो घर में,

इक-दूजे का माथा फोड़.

जीवन है इक बाधा दौड़.



मस्त रहें बच्चे ,धमाल में,

घर के बूढ़े अस्पताल में

घर का करता फिरकी जैसा

नाचे सबकी देख -भाल में

घर-घर बहूएँ कोंस रहीं हैं

बुढ़िया अब तो माचा छोड़

जीवन है इक बाधा… Continue

Added by anand pandey tanha on November 26, 2010 at 7:52pm — 1 Comment

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