हाँ तुमने ही तो किया था वादा,
मेरा समंदर भर दोगे।
जाने किस - किस से तुमने,
माँगा इसके लिए स्नेह।
पर अब भी रीता है,
मेरा समंदर, अधभरा . . .
उजली आँखों से निहारता,
टकटकी लगाए देखता।
शायद तुम अभी भी,
भरने को उत्साहित हो।
मांग लो किसी प्रेमी से,
थोड़ा और स्नेह।
न दे तो छीनो, मिटा दो,
प्रेम की बसती किसी की दुनिया।
उजाड़ दो किसी का घर,
और भर दो मेरा समंदर।
चाहे उसमें प्रेम की जगह,
किसी की खुशियों की दाह हो।
हाँ…
Added by Jaya Sharma on November 1, 2010 at 6:00am — 2 Comments
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