फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
बह्र - 212 212 212 212
गीत बुलबुल सुनाती रही रात भर
दिलरुबा को रिझाती रही रात भर
भाव ही नींद खाती रही रात भर
उसको मैं बस मनाती रही रात भर
ज़िंदगी से सुना गीत जो सारा दिन
उसको मैं गुनगुनाती रही रात भर
उनकी दिलकश अदा और दीवानगी
सोच मैं मुस्कुराती रही रात भर
तेरी पहली छुअन याद करके सनम
मन ही मन मैं लजाती रही रात भर
चाँद तकने दिया भूख ने कब…
ContinueAdded by Rakhee jain on November 27, 2022 at 3:00pm — 5 Comments
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222/1222/1222/1222
कहीं भी जाइए रूस्वाइयाँ आवाज़ देती हैं
बुरे कर्मों की सब परछाइयाँ आवाज़ देती हैं
कभी चिड़िया कभी गुड़िया कभी लख़्त-ए-जिगर कहकर
मुझे रस्मों की सब मजबूरियाँ आवाज़ देती हैं
बुलंदी पर पहुँचता है जो कोई अपनी मिहनत से
जहाँ भर की उसे शाबाशियाँ आवाज़ देती हैं
भले ही आज होती हैं समानधिकार की बातें
लगी सदियों की सब पाबंदियाँ आवाज़ देती…
ContinueAdded by Rakhee jain on November 20, 2022 at 5:00pm — 4 Comments
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