इक मैं थी इक मेरा साथी,सुन्दर इक संसार था
संसार नहीं था एक समंदर,बसता जहां बस प्यार था
छोटे बडे़ सभी रिश्तों की,मर्यादा यहाँ पालन होती थी
प्यार की हर नदिया का,सम्मान यहाँ पर होता था
मिलती जब कोइ नदिया समुद्र से,हर्षोल्लास बरसता था
बाहें फैला समुद्र भी अपनी,सबका स्वागत करता था
ना जाने फिर इकदिन कैसा एक बवंडर आया था
सारा समंदर सूख गया,बस मरुस्थल ही बच पाया था
आज प्रयत्न मैं कर रही,मरुभूमि में कुछ पुष्प खिलाने का
कुछ सुकूं…
ContinueAdded by Veena Gupta on December 26, 2020 at 10:54pm — 2 Comments
मौन की भाषा सुनो,मौन मुखरित हो रहा है
जाने कितने शिकवे छिपे हैं,जाने कितने हैं फसाने
अपने अंतर में छुपाये,जाने कब से सह रहा है
खामोशी चारों तरफ है,अब न कोइ शोर है
कोइ नहीं है पास में अब,एकाकीपन का ये दौर है
लग रहा है फिर भी ऐसा,ज्यों गूंजता कानों में कोइ शोर है
ध्यान और एकांत ने,धीरे से फिर समझा दिया
मौन तो इक शक्ति है विश्वास है
नयी राहों पर देता ज्ञान का प्रकाश है
एकांत मौन में मिलती नयी उर्जा सदा
मौन चिंतन ही…
ContinueAdded by Veena Gupta on December 18, 2020 at 3:33am — 1 Comment
जीवन की इस नदिया को,बस बहते ही जाना है
लक्ष्य यही है इसका इकदिन,सागर में मिल जाना है
चाहे जितनी बाधाएँ हों,चाहे जितने हों भटकाव
लक्ष्य प्राप्त करना ही होगा,होगा ना उसमें बदलाव
मीठे पानी की नदिया इकदिन,खारा सागर बन जायेगी
इसी तरह ये जीवन नदिया इकदिन,अमर आत्मा बन जायेगी
पर जाने से पहले जीवन में,कुछ ऐसे मीठे काम करो
नदिया जैसे सब याद करें,आत्मा अमर हो जाने दो
मौलिक /अप्रकाशित
वीणा
Added by Veena Gupta on December 18, 2020 at 3:00am — 3 Comments
बड़ी तेज़ रफ़्तार है ज़िन्दगी की,मुट्ठी से फिसलती चली जा रही है
उम्र की इस दहलीज़ पर जैसे,ठिठक सी गयी है,सिमट सी गयी है
बीते हुए पुराने मौसम याद आ रहे हैं,हासिल क्या किया तूने समझा रहे हैं
ऐ ज़िन्दगी तू ज़रा तो ठहर जा,जीने की कोई राह बता जा
बचे जो पल हैं चंद ज़िन्दगी के,कैसे संवारूँ ज़रा तू बता जा
जिन्दगी ने कहा कुछ यूँ मुस्कुरा कर,प्यार ख़ुद से तू कर ले दुनिया भुला कर
परमात्मा से लौ तू लगा ले,जीवन का सच्चा आनन्द पा ले
स्वर्णिम ये पल मत…
ContinueAdded by Veena Gupta on December 2, 2020 at 2:37am — 2 Comments
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