सागर मंथन जब हुआ , निकले चौदह रत्न/
कल्पवृक्ष उद्भव हुआ , दानव देव प्रयत्न /
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कल्पवृक्ष महिमा अमित , सदा जवानी देत /
मनोकामना पूर्ण कर , करे बुढ़ापा खेत /
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सतभामा कहने लगी, सुनिए मेरे नाथ /
पारिजात को लाइए , बैठूं प्रियतम साथ /
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राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी
Added by राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी on August 7, 2016 at 4:09pm — No Comments
(१) शक्ति छ्न्द=== इस छ्न्द मे १, ६, ११ , एवम् १६ लघु होता है /
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मापनी १२२ १२२ १२२ १२
ज़मीं पे सितारे थिरकने लगे /
मनो भाव बन कर मचलने लगे /
लिखे राज मुक्तक मगन मन सुधा/
सुमन गीत बनकर महकने लगे //
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(२)मापनी= १२२२ १२२२ १२२२ १२२२
लगाओ पेड़ धरती पर करो खुशहाल अब धरती /
बिछाओ फूल चुन चुन कर यही घर घर खुशी भरती/
घटाएँ भी बहर बन के करें…
Added by राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी on February 19, 2016 at 2:30pm — 3 Comments
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