धड़कते दिल की सदा है तू
मुहब्बतों की खुदा है तू
के तेरा नाम है मुहब्बत
किसे खबर है के क्या है तू
तेरी ज़रूरत है इस जहाँ को
दहकती हुई हर इक फ़िज़ा को
तू ही मंदिर तू ही मस्जिद
तू ही बच्चे की तोतली बोली
तू ही ममता का बे हिसाब साया
तू ही है पापा की डांट जानूं
तू ही चिड़ियों की चहचहाहट
तू ही है कलियों की मुस्कुराहट
तेरे दम से बहार क़ायम
मैं क्या गिनाऊँ तेरे गुणों को
के तू मुहब्बत है तू…
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Added by mohd adil on October 18, 2010 at 6:30pm —
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धूप के दरिया में नहाता है गुलाब
फिर भी ताज्जुब है मुस्काता है गुलाब
जिनके चेहरों पर उदासी होती है
मुस्कुराना ऐसों को सिखाता है गुलाब
जब किसी के लिए बिखरता है
तब कहीं जाके चैन पाता है गुलाब
रास्ते में बिखेर कर खुद को
साथ राही के भी जाता है ग़ुलाब
जो ज़माने में नामवर थे कभी
वाक़ए उन के सुनाता है गुलाब
Added by mohd adil on October 18, 2010 at 6:00pm —
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सच की जीत मनाएँ हम
टूटे दिलों को एक मनाएँ हम
आज के दिन को एकता के रूप मैं मनाएँ हम
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई एक होजाएँ हम
जीत हुई सच्चाई की
और रावण हार गया
छोड़ कर जीवन परलोक सिधार गया
सच्चाई के रखवालों ने
नेकी के करने वालों ने
एक एसा सबक़ सीखा दिया उसको
हमेशा के लिए मिटादिया उसको
सारे नेकी के करने वालों ने
उस को याद करेगें शेतानो मैं
राम का नाम रहेगा हर…
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Added by mohd adil on October 17, 2010 at 12:30pm —
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सच्चे मोती की हे तलब मुझ को
कितने दरया खंगालता हूँ मैं
ठोकरे एक सबक़ सिखाती हैं
खुद को गिर कर संभालता हूँ मैं
फिर भी तारों को छू नही पाता
लाख खुद को उछालता हूँ मैं
एक तबस्सुम सजा के होटो पर
दर्द को अपने पालता हूँ मैं
आओ दरयाओं पानी लेजाओ
अपने आँसू निकालता हूँ मैं
Added by mohd adil on October 17, 2010 at 12:30am —
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माँ को क़ुदरत सलाम करती हॅ
माँ को फ़ितरत सलाम करती हॅ
प्यार के सब बने पुजारी हैं
आस्था के बने भिखारी हैं
जब दिया मैं जलता हूँ
देख कर तुझ को मुस्कुराता हूँ
अपने सीने से तू लगा मुझ को
और स्नेह से तू सजा मुझ को
अपनी ममता का आसरा दे दे
अपने चरणो मैं तू जगह दे दे
फूल बनकर महकता जाऊँ मैं
और स्नेह मैं गुनगुनाऊँ मैं
मेरी माता महान है कितनी
यह हक़ीक़त जवान है कितनी
दरदे दिल की मेरे दवा…
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Added by mohd adil on October 16, 2010 at 7:30pm —
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बला का चेहरा तमाशा दिखाई देता है
हक़ीक़तों मैं जनाज़ा दिखाई देता है
चमक रहा था जो आकाश पर बना सूरज
ज़मीं पे आन के बोना दिखाई देता है
किसी चिता की यह जल कर बढ़ाएगा शोभा
वो एक दरखत जो सूखा दिखाई देता है
हमारी धरती पे नफ़रत के बीज बो के कोई
हवा के दोश पे उड़ता दिखाई देता है
हुआ ना आज भी सेराब बद दुआ लेकर
वतन से दूर जो भागा दिखाई देता है
Added by mohd adil on October 16, 2010 at 6:30pm —
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यह तमन्ना है मुझे आज पुकारे वो भी
मेरी आँखो के करे आके नज़ारे वो भी
सिर्फ़ बाक़ी हे तेरी याद का हल्का सा दिया
यादे माज़ी के छुपे सारे सितारे वो भी
खुदगर्ज़ जेहन से मिट जाए अना की तस्वीर
अपनी पोशाक रयाकार उतारे वो भी
चाँदनी रात हे खूशबू की महक हे हर सू
आके दरया पे ज़रा ज़ुल्फ संवारे वो भी
जो बहुत दूर है. नज़रों से तखय्युल के परे
फलसफा कहता हे रोशन हैं सितारे वो भी
Added by mohd adil on October 16, 2010 at 5:00pm —
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बदले बदले से यह इन्सान नजर आते हैं
अब तो हर गाम पे शेतान नजर आते हैं
गर्क कश्ती मैं मरी आन के तूफान हुआ
फिर तमाशाई क्यूँ हैरान नजर आते हैं
शोर दरयाओं मैं केसा हॅ रयाकरी का
मुझ को उठते हुए तूफान नजर आते हैं
चमन गर मैं महका हूँ वो फूलों की तरह
मेरे सूखे हुए गुल्दान नजर आते हैं
यह तो सूरज का लहू पी के जमा हैं चेहरा
आप क्यूँ देख के हैरान नजर आते हैं
Added by mohd adil on October 13, 2010 at 4:30pm —
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