क्या खूब उसने मुझको , पर्दा हटा के मारा
उम्मीद के अंचल मैं , उसने सुला के मारा
आयेगे कह गए वो ,मेरा इंतज़ार करना
उम्मीद के दामन मैं, ऐसे फुला के मार
बेमौत मर गया वह, ये दुनिया कह रही थी
इन्सनियत में उसने , सर को कटा के मारा
मेरा वजूद उसका हमशक्ल बन गया था
यादों मैं उसने मुझको , ऐसा सता के…
Added by Dinesh Kumar khurshid on March 29, 2013 at 9:22pm — No Comments
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