वो न्यारा सा आँगन .
वो प्यारा सा बगीचा
वो लह लहाते खेत .
वो दूर जाती पगडण्डी
वो सुबह शाम चिड़ियों का चहचहाना
वो सिंदूरी शाम गऊ माँ का रम्भाना
वो चंदा का रात में, धरती पे उतर के आना
वो बर्फ सी चांदनी तन-मन का सिहर जाना
अंधेरिया अंजोरिया के साथ हर पल का जुड़ जाना
वो स्वच्छ गगन में तारों का जग-मग टिम टिमाना
वो खपरैल कुशा से बने घर वातानुकूल
वो पेड़ों पर झूलों का सावन मे लटकाना
वो गेहूं चने की…
Added by Rajeev Mishra on September 20, 2012 at 10:30pm — 6 Comments
Added by Rajeev Mishra on April 9, 2011 at 2:53pm — 3 Comments
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