For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जयति जैन "नूतन"'s Blog (5)

निशब्द संसार

तुम शब्द हो

और मैं अर्थ

तुम हो तो मैं हुं

शब्द बिन अर्थ बेकार

निशब्द संसार

 

तुम प्रीत हो

और मैं जोगन…

Continue

Added by जयति जैन "नूतन" on December 1, 2017 at 7:30pm — 3 Comments

कमाल की बात है

बुजुर्गों को सत्ता और युवाओ को बेरोजगार बनाया है,
कमाल है इतने सालों में क्या देश हमने बनाया है ! 
टेक्स हमने भरे सारे, नेताओं ने जमकर मौज उडाया है,
कमाल की बात है कि हमने अब तक इन्साफ नहीं पाया है !
घोटालों पर घोटाले होते रहे और हम खुली आंखों सोते रहे,
कमाल की बात है कानून के नाम पर क्या बेवकूफ़ बनाया है !
शिक्षित लोग, विकसित देश का सपना लिये फ़िर रहे हैं हम,
कमाल की बात है ऊचे पद पर अनपढो को बैठाया है…
Continue

Added by जयति जैन "नूतन" on November 26, 2017 at 2:30pm — 2 Comments

कविता- जी एस टी

कविता- जी एस टी
 
मैं सो रही थी मुझे उठाया गया,
नींद में ही गाडी में बैठाया गया !
होश में आती उससे पहले ही बताया गया, 
व्यापारियों का खून चूसने जीएसटी लगाया गया !
 
अधिकारी के दफ़्तर संग लाया गया,
टेक्स का सारा…
Continue

Added by जयति जैन "नूतन" on October 27, 2017 at 11:39pm — 1 Comment

कविता: जो खुद को सेकुलर नहीं मानते उनके लिए

बाहर हैं तो अभी सीधा घर जाइये

घर जाकर टी.वी. में आग लगाइये

सभी जाति -धर्म के लोग दिखाई देगें

फिल्म - सीरियल पर नजर दौड़ाइये

बच्चों को उस स्कूल में डालिये

जहां आपकी जाति के शिक्षक होने चाहिये

सामान हर दुकान से मत खरीदिये

दुकान भी आपकी जाति धर्म की होनी चाहिए

किस धर्म के आदमी ने बनाया है ये सामान ?

अपनी जाति के दुकानदार से पुछवाईये

आप सेकुलर नहीं जो किसी के भी हाथ का खालें

इसलिए कुछ दिन…

Continue

Added by जयति जैन "नूतन" on October 23, 2017 at 11:00pm — 9 Comments

कविता ---- एक दूजे का साथ ------

इतने साल बीत गये 

ना वो बदली जरा ना मैं !

आज भी उसे नहीं पसंद

मेरा किसी और से बात करना !

मुझे भी आजतक नहीं भाया

उसका किसी को देख मुस्काना !

उसे अच्छा नहीं लगता जब

मेरा ध्यान उससे हट जाना !

मुझे पसंद नहीं आता उसका

मुझे छोड़ टी.वी. तक देखना !

वो कहती है सुनो प्रिय 

मैं सामने हुं तो मुझे ही देखो !

मुझे भाता है उसे चिडाना

दूसरों को देख देख मुस्काना !

उसे पसंद तक नहीं मेरा चश्मा

मेरी आंखों पर हमेशा रहता…

Continue

Added by जयति जैन "नूतन" on October 5, 2017 at 4:00pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service