मिश्रा जी यूं तो बैंक से रिटायर हुए थे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्होंने पूरी तरह से अपने जीवन को वृक्षारोपण के लिए समर्पित कर दिया, इसलिए लोगों के लिए उनका परिचय था " वही जो पेड़ लगाते हैं"। घर के पास स्थित राधा कृष्ण मंदिर में भी उन्होंने कई पेड़ लगाए थे, जब तक उनका लगाया पौधा पूरी तरह से बड़ा न हो जाता, तब तक उसकी देखभाल के लिए जाया करते थे। पार्कों में, रोड साइड पर, अपने स्कूटर पर पानी के जरीकेन रखकर ले जाते थे और पौधों में पानी डालते थे, बाद में पैदल ही जाने लगे। कभी-कभी आसपास के…
ContinueAdded by Dr Vandana Misra on November 27, 2020 at 12:00pm — 7 Comments
नमिता गाड़ी की पिछली सीट पर आंखें मूंदे हुए सिर टिकाए सोच में डूबी हुई थी। यूं तो उसे फिल्म इंडस्ट्री में आए 3 साल हो गए थे। वह एक छोटे से कस्बे से आती थी, शुरू में उसको काम मिलने में बहुत दिक्कत हुई, दरअसल वह बोल्ड सीन देने से बचना चाहती थी, लेकिन बॉलीवुड में यह संभव न था। इधर 6 महीनों में उसने दो बड़ी फिल्में साइन की थीं, लेकिन आज उसका मन बहुत ज्यादा उद्वेलित था, क्योंकि अपनी मर्जी के विरुद्ध उसे आज काफी बोल्ड दृश्य करने पड़े थे। यही सब सोचते सोचते वह अपने घर पहुंच गई। फ्लैट का ताला खोला…
ContinueAdded by Dr Vandana Misra on October 16, 2020 at 9:00pm — 3 Comments
सृष्टि का चलन
चाँद चमकता
सूर्य की ही रोशनी से
हर दिन,
एक दिन क्यों आ जाता
सूर्य और पृथ्वी के बीच,
लगाता सूर्य को ग्रहण
बहुत पास जाकर
रोकता उसका प्रकाश,
बना देता है उसे
अपने ही जैसा,
यह प्यार है चाँद का
या जलन,
नहीं नहीं....
चन्द्र किरणों की तो
शीतल है छुअन
यह तो है बस
रचयिता की लीला
और सृष्टि का चलन !…
Added by Dr Vandana Misra on August 31, 2020 at 4:12pm — 4 Comments
शुतुरमुर्ग
सामने आई
विपदा देख
शुतुरमुर्ग सा
रेत में सिर धँसाये पड़ा,
बिल्ली को देख
कबूतर सा
आँखें मूँदे
सहमा बड़ा,
आज मानव
युद्ध सामने देखकर भी
क्यों कायर सम खड़ा,
काश! फिर कोई
जामवंत आये
हनुमान को
उनका बल
याद दिलाये।
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Dr Vandana Misra on May 8, 2020 at 3:30pm — 2 Comments
Added by Dr Vandana Misra on March 28, 2020 at 5:19pm — 1 Comment
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