For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Afroz 'sahr''s Blog (6)

ग़ज़ल निकल गए आँसू,,,,

   2122  1212  22

दफ़अतन जो निकल गए आँसू।

सारे मंज़र बदल गए आँसू।।

लाख की कोशिशें छुपाने की।

राज़ दिल का उगल गए आँसू।।

इक ख़ुशी ने मुझे पुकारा है।

ये ख़बर सुन के जल गए आँसू।।

ख़ुश्क दामन तुझे बताऊँ क्या।

वो सबब जो सँभल गए आँसू।।

इत्तिफ़ाकन ही ख़ुश्क थीं पलकें।

इंतिकामन मचल गए आँसू।।

इक तबस्सुम जो आगया लब पर।

मारे ग़म के पिघल गए आँसू।।

कौन सा पल…

Continue

Added by Afroz 'sahr' on December 24, 2017 at 11:00am — 11 Comments

ग़ज़ल,,,,इशारों का साथ दो,,,,,,,

221/2121/1221/212



है इख़्तियार तुमको बहारों का साथ दो।

लेकिन कभी तो दर्द के मारों का साथ दो।।



गर हैं निजात के लिए दरकार नेकियाँ।

डोली उठाने वाले कहारों का साथ दो।।



बाहम वो मिल सके न जो सारी हयात में।

मजबूर बेक़रार कनारों का साथ दो।।



तुम इन उदासियों की रिदाओं को चीर कर।

दिलकश हसीन शौख़ नजारों का साथ दो।।



ये वक़्त का तकाजा़ है दानाइ भी यही।

रक्खो ज़ुबान बंद इशारों का साथ दो।।



मिट्टी के ढेर हैं ये फ़कत और… Continue

Added by Afroz 'sahr' on December 4, 2017 at 1:36pm — 20 Comments

ग़ज़ल,,,,भीगी पलकों पे कई ख़्वाब,,

2122/1122/1122/22/112



अश्क़ आँखों में यूँ बेताब हुआ करते हैं

भीगी पलकों पे कई ख़्वाब हुआ करते हैं।



जिनकी क़ीमत ही नहीं लोगों की नज़रों में कोई

रब की नज़रों में वो सुरख़ाब हुआ करते हैं।



जो भी रखते हैं बुज़ुर्गों की रिवायत का भरम

लोग दुनिया में वो नायाब हुआ करतें हैं।



ख़ुश्क फूलों की तरह मुझको समझने वालों

गुल में ख़ुश्बू के कई बाब हुआ करते हैं।



तुहमतें गैरों पे साज़िश की लगाने वाले

तेरे दुश्मन तेरे एहबाब हुआ करते… Continue

Added by Afroz 'sahr' on November 7, 2017 at 1:00pm — 20 Comments

ग़ज़ल,,,,में अपनी हसरतें,,,,,

1222/1222/1222/1222



जो सच हो ही नहीं सकता वो सपना छोड़ आया हूँ

में अपनी हसरतें सहरा में तंहा छोड़ आया हूँ।



ख़िरद ने जबसे जोड़ा है हक़ीकत से मेंरा रिश्ता

तख़य्युल को ख़लाओं में भटकता छोड़ आया हूँ।



ज़रूरत मुझको ले कर आ गई परदेस में लेकिन

में अपने घर में इक पुतला अना का छोड़ आया हूँ।



सबब जिसके हुए जाते थे अपने ही मेंरे दुश्मन

वो चाँदी छोड़ दी मैंने वो सोना छोड़ आया हूँ।



वो इक लम्हा जो गफ़लत में तेरी चाहत के बिन… Continue

Added by Afroz 'sahr' on October 17, 2017 at 7:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल: फूंकने को इसे बिजलियाँ आगईं

212/212/212/212



याद तुमने किया हिचकियाँ आगईं

दिल की तस्कीन को बदलियाँ आगईं।



ज़ेर ए तामीर था ये नशेमन मेंरा

फू़ंकने को इसे बिजलियाँ आगईं।



तू नहीं आसका हाल तेरा मगर

लेके अख़बार की सुर्ख़ियाँ आगईं।



जब तड़प कर गुलों ने पुकारा उन्हें

लब हसीं चूमने तितलियाँ आ गईं।



गर्म साँसों की औढ़ा दो मुझको रिदा

लौट कर फिर वो ही सर्दियाँ आ गईं।



चाह दिल में तेरे वस्ल की जब जगी

लम्स तेरा लिये चिट्ठियाँ आ गईं।…



Continue

Added by Afroz 'sahr' on October 11, 2017 at 5:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल ,,,,चराग़ ए सुख़न हूँ,,,,,,,

अर्कान,,,122/122/122/122



मुहब्बत में होना फ़ना चाहता हूँ

अजब में दिवाना हूँ क्या चाहता हूँ।



चराग़ ए सुख़न हूँ जला चाहता हूँ

ग़ज़ल में नया फ़लसफ़ा चाहता हूँ।



रहा कब हूँ झूटी अना का में काइल

ख़ुदाया तिरी बस रज़ा चाहता हूँ।



सुख़नवर बहुत हैं अनोखे जहाँ में

में अंदाज़ अपना जुदा चाहता हूँ।



जुनूँ ने ख़िरद से ये क्या कह दिया है

तिरी हिकमतों का पता चाहता हूँ।



जहाँ भी रहे बस महकता रहे तू

फ़कत ये ख़ुदा से दुआ… Continue

Added by Afroz 'sahr' on September 17, 2017 at 1:00pm — 20 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service