For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल,,,,में अपनी हसरतें,,,,,

1222/1222/1222/1222

जो सच हो ही नहीं सकता वो सपना छोड़ आया हूँ
में अपनी हसरतें सहरा में तंहा छोड़ आया हूँ।

ख़िरद ने जबसे जोड़ा है हक़ीकत से मेंरा रिश्ता
तख़य्युल को ख़लाओं में भटकता छोड़ आया हूँ।

ज़रूरत मुझको ले कर आ गई परदेस में लेकिन
में अपने घर में इक पुतला अना का छोड़ आया हूँ।

सबब जिसके हुए जाते थे अपने ही मेंरे दुश्मन
वो चाँदी छोड़ दी मैंने वो सोना छोड़ आया हूँ।

वो इक लम्हा जो गफ़लत में तेरी चाहत के बिन गुज़रा
कई सदियाँ हैं शाहिद में वो लम्हा छोड़ आया हूँ।

ये मुमकिन है के अब उसका रवैया ही बदल जाऐ
में जिस उहदे पे फ़ाइज़ था वो उहदा छोड़ आया हूँ।

सहर हिजरत में यूँ पहलू दयानत का नहीं रक्खा
जसद तो साथ है मेंरे वो साया छोड़ आया हूँ।

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Afroz 'sahr' on October 20, 2017 at 2:08pm
आदरणीय बृजेश जी आपको रचना पसंद आई आपका आभार प्रकट करता हूँ। सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 20, 2017 at 9:21am
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय अफ़रोज़ जी..हार्दिक बधाई
Comment by Afroz 'sahr' on October 19, 2017 at 1:46pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी पर आपका शुक्रगुज़ार हूँ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 9:46am
जनाब अफरोज साहब,
मज़ा आ गया, ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद.
Comment by Afroz 'sahr' on October 19, 2017 at 9:40am
आदरणीय अजय तिवारी जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया,,,,
Comment by Ajay Tiwari on October 19, 2017 at 7:43am

आदरणीय अफरोज साहब,

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. शुभकामनाएं .

सादर 

Comment by Afroz 'sahr' on October 18, 2017 at 9:42pm
आदरणीय समर साहिब आपने ग़ज़ल को वक़्त दिया । ग़ज़ल को आपकी सराहना मिली ये मेंरी खुश नसीबी है। मेंरी रचना सार्थक हूई।,,,,,सादर,,,
Comment by Samar kabeer on October 18, 2017 at 5:38pm
जनाब अफ़रोज़'सहर'साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Afroz 'sahr' on October 18, 2017 at 12:12pm
आदरणीय निलेश जी ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया,,,,
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:39am

आ. अफरोज़ साहब..
अच्छी ग़ज़ल हुई है..बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service