Added by ASHUTOSH JHA on April 9, 2017 at 4:26pm — 8 Comments
Added by ASHUTOSH JHA on April 2, 2017 at 12:06am — 6 Comments
समझता था ख़ुद को ज़र्रे से भी कमतर मगर
मिला वज़ूद से तो सैलाब निकला...
ज़ेहन में पड़े हैं अब भी बहुत से किर्च मगर
बहुतों के हिसाब से आफ़ताब निकला...
ढूंढा चाँद को सबने फ़क़त मगर
आँखवाला नहीं कोई भी जनाब निकला...
जाते हैं रस्ते से सब ही इसी तरह
कुछ के पैरों से रस्ता बेहिसाब निकला...
निकला न करो छुप कर हमसे मेरे नसीब
तुमसे भी कभी मेरा इख़्तियार निकला...
फ़ुरसत के पल न ढूंढा करो मिलने के
जब जब रहा ज़ेहन में तेरा दीदार…
Added by ASHUTOSH JHA on February 27, 2017 at 12:00am — 4 Comments
मुझे याद है
जानबूझ कर वो मेरा सामान भूल जाना....
ज़ोर देकर तुमने
जिसे कहा बार बार कि ले जाना ...
कि इसी बहाने
चोरी से तुम उसे रख दोगी...
और मुझे फिर
एक बहाना मिल जाएगा
इस तरह मुस्कुराने का....
मौलिक और अप्रकाशित।
Added by ASHUTOSH JHA on January 4, 2017 at 8:00pm — 14 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |