फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
(बह्र: रमल मुसम्मन महजूफ)
2122. 2122. 212.
ज़िन्दगी भर ये परेशानी रही
मेरे चारो सम्त वीरानी रही ।।
जिस के पीछे अब ज़माना है पढ़ा
वो कभी मेरी भी दीवानी रही ।।
शब मिलन की थी बहुत गहरी मगर
रात भर तारो की निगरानी रही।।
दोस्ती कर ली किताबों से मैं ने
भूलने में उसको आसानी रही ।।
- शेख़ ज़ुबैर अहमद
( मौलिक एवम अप्रकाशित )
Added by Shaikh Zubair on March 15, 2020 at 6:57pm — 2 Comments
फाइलुन फाइलुन फाइलुन
212 212 212
हम हैं नाकाम-ए-राह-ए-वफ़ा
काम आई तेरी बद-दुआ ।
इश्क़ की है अभी इब्तिदा ,
यार मुझ को न तू आज़मा।
रात भर जागता रहता है,
चाँद क्यों इतना है ग़म-ज़दा ।
वो पता पूछे तो बोलना
"कुछ दिनों से हूँ मैं लापता"
आखरी बार मुझ से मिलो ,
आखरी बार है इल्तिजा ।
अब नही देखता तुझ को मैं,
रायगाँ है सवरना तेरा ।
जा रहा हूँ तेरे दर से मैं
दिलरुबा ग़म छुपा,,मुस्कुरा |
- शेख ज़ुबैर अहमद
(मौलिक…
Added by Shaikh Zubair on February 1, 2020 at 4:33pm — 4 Comments
Added by Shaikh Zubair on June 12, 2019 at 1:41am — 3 Comments
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