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इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये....

 

ज़ख्म खाने को सदा तैयार होना चाहिये

तीर नज़रों का सदा उस पार होना चाहिये |

बन कहे ही जाने कितने हीर रांझे मिट गए ,
इश्क है तो इश्क का इज़हार होना चाहिये |

गर खुदा ना ही मिले तो भी मुझे परवा नहीं ,
साथ मेरे बस मेरा दिलदार होना चाहिये |

डूबती हैं कश्तियाँ साहिल पे भी आके कभी 
झूठ कहते हैं केवल मझधार होना चाहिये |

तू ही क्यूँ लूटे अकेला देश ये मेरा भी है ,
मिल जुल चलाएं ऐसा कुछ व्यापार होना चाहिये |

वक़्त का है ये तकाज़ा हम ज़मीं तलाश लें ,
अब हमें इस पार या उस पार होना चाहिये |

साहिलों पे बैठकर वो हैं सिखाते तैरना ,
लहरों से अब सामना इक बार होना चाहिये | 

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Comment

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Comment by Kalu Ram on October 4, 2011 at 7:02pm

वाह क्या खूब लिखा है आपकी तारीफ़ जरुर होनी चाहिए .........

Comment by Veerendra Jain on October 3, 2011 at 12:08pm

धन्यवाद् ...सिया जी..

Comment by Veerendra Jain on October 3, 2011 at 12:07pm

मुझे सुधारने एवं हौसला अफजाई करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ...अम्बरीश भैया ...

Comment by siyasachdev on October 2, 2011 at 5:06pm

nice 1..good

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 1, 2011 at 11:01am
//गर खुदा ना ही मिले तो भी मुझे परवा नहीं ,
साथ मेरे बस मेरा दिलदार होना चाहिये |

 

तू ही क्यूँ लूटे अकेला देश ये मेरा भी है ,
साथ मिल लूटें इसे व्यापार होना चाहिये |//

बहुत खूब भाई ! बेहतरीन ....................

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