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▬► Photography by : Jogendrs Singh ©
► NOTE :- उपरोक्त दोनों चित्र मुंबई के भाईंदर ईलाके में "केशव-सृष्टि" नामक जगह का है..!!

::::: आजकल खयाल ::::: © (मेरी नयी कविता)
जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 10 अगस्त 2010 )

► NOTE :- कृपया झूठी तारीफ कभी ना करिए.. यदि कुछ पसंद नहीं आया हो तो Please साफ़ बता दीजियेगा.. मुझे अच्छा ही लगेगा..
▬► !!..धन्यवाद..!!

(इस कविता की प्रथम दो पंक्तियाँ मेरे मित्र सोहन से प्रेरणा स्वरुप ली गयी हैं ... )

जैसा कि मैंने ऊपर भी लिखा है कि कविता की प्रथम दो पंक्तियाँ मैंने अपने मित्र सोहन से ली हैं ... फिर भी मेरी समझ में पानियों अजीब सी अनुभूति देने के बावजूद भी सार्थक सा ही लगता है , उसकी वजह है कि यहाँ पानी को सोच या खयाल के लिए सांकेतिक रूप से ही लिया गया है और पानी के हर अणु को एक सोच सा महसूस करें तो सारे कण मिलकर बहुवचन सा अहसास दिलाते हैं ... सिर्फ इसीलिए यहाँ पानियों का प्रयोग भी मैंने ज्यों का त्यों कर लिया है ...
.

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Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 29, 2010 at 2:21pm
@ राणा , सच कहते हो छोटे ... ख्यालों का क्या है जैसे चाहो विस्तार दे दो ...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 28, 2010 at 11:27pm
ख्याल तो बढ़ती हुई मंहगाई की तरह हैं काबू में ही नहीं आते हैं|
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 28, 2010 at 7:47pm
@ संजय जी , खयाल पसंद करने पर आभार ...
Comment by Sanjay Kumar Singh on August 28, 2010 at 5:52pm
khyal achcha hai, aur kavita bhi,
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 28, 2010 at 3:50pm
@ बागी जी , मन के भावों को समझने एवं तारीफ के लिए शुक्रिया ...
Comment by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 28, 2010 at 3:49pm
@ कंचन जी , उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया ...
Comment by Kanchan Pandey on August 28, 2010 at 3:33pm
achchi rachna, Achcha Photographs,

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 27, 2010 at 7:33pm
जोगेंद्र जी, वास्तव मे मन एक ऐसा स्वतंत्र जीव है जिसके उड़ान पर कोई रोक नहीं है, वो उड़ान भरता रहता है, कभी सार्थक तो कभी निरर्थक, छोटी सी कविता मे आप ने गहन तथ्यों का समावेश कर दिया है,

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