For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुफ़्तगू पत्रिका का आनलाईन विमोचन व मुशायरा धूमधाम से सम्पन्न

इलाहाबाद। एक पुलिसकर्मी हमेशा डंडा ही नहीं चलाता बल्कि कलम उठाकर अपनी अभिव्यक्ति भी खूबसूरती से व्यक्त कर सकता है। इश्क सुल्तानपुरी ने इस को बेहतरीन ढंग से करके दिखाया है। इन्होंने अपनी काव्य सृजन की क्षमता से लोगों को अवगत करा दिया है। यह बात डीआईजी कार्मिक श्री लाल जी शुक्ल ने ‘गुफ्तगू’ के इश्क सुल्तानपुरी अंक के विमोचन के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि इश्क साहब की शायरी को लोगों तक लाने में गुफ्तगू पत्रिका ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,पत्रिका का यही कार्य इसे अन्य पत्रिकाओं से अलग करता है। शनिवार को हिन्दुस्तानी एकेडेमी में पत्रिका का विमोचन भी मुख्य अतिथि लाल जी शुक्ल ने किया, कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर डा. जमीर अहसन ने की, जबकि अति विशिष्टि अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति प्रेम शंकर गुप्त मौजूद रहे। डाॅ. ज़मीर अहसन ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस पत्रिका ने कई उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं, खासतौर पर बड़े शायरों के साथ ही नए उभरते हुए रचनाकारों को सम्मान के साथ जगह दी है, इश्क सुल्तानपुरी अंक भी इसी बात की गवाही देता है। न्यायमूर्ति प्रेम शंकर गुप्त ने इश्क सुल्तापुरी की शायरी के साथ ही गुफ्तगू पत्रिका के प्रयासों की सराहना की और कहा कि पत्रिका ने अपने बेहतरीन काम के जरिए देशभर काफी नाम कमाया है, इसके उल्लेखनीय कार्यों की चर्चा आज हर साहित्यिक परिचर्चाओं में की जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार मुनेश्वर मिश्र ने कहा कि गुफ्तगू पत्रिका की शुरूआत आज नौ साल पहले हुई थी, निरंतर प्रकाशित हो रही इस पत्रिका ने साबित कर दिया है कि मेहनत और इमानदारी के साथ काम किया जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है । आज के युग में साहित्यिक पत्रिका इतनी कामयाबी से साथ प्रकाशित करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन गुफ्तगू की टीम से इस चुनौती का साहस के साथ सामना किया है और कामयाबी हासिल की है। पत्रिका के मुख्य संरक्षक इम्तियाज अहमद गाजी ने कार्यक्रम की भूमिका पेश करते हुए बताया कि आज गुफ्तगू पत्रिका  का आॅनलाइन विमोचन भी कर दिया गया है, इसी के साथ अब पत्रिका इंटरनेअ के माध्यम से पूरी दुनिया पढ़ी जा सकेगी, तथा आगे कहा कि साहित्य की दुनिया में कदम रखने वाले नए लोगों की हौसलाअफाजाई की जानी चाहिए, न कि उन्हें छुरी-कैची दिखानी चाहिए। जब तक नए लोगों को प्र्रोत्साहित नहीं किया जाएगा तब तक नए लोग नहीं जुड़ेंगे। श्री गाजी ने कहा कि एक नया लिखने वाले सूर,निराला, गालिब और मीर की तरह का शायर नहीं हो सकता। धीरे-धीरे ही उसमें परिवक्ता आती है, और इश्क सुल्तानपुरी की शायरी को भी इसी नज़रिए से देखना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक शिवपूजन सिंह ने कहा कि साहित्यिक आयोजन कराना आज के दौर में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन गुफ्तगू परिवार ने कुछ लोगों के सहयोग से समय-समय पर आयोजन कराया है और आप लोगों का सहयोग मिलता रहा तो यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। सीमैट की प्राचार्या सुश्री भावना शिक्षार्थी ने कहा कि आज के दौर में इमानदारी के साथ काम करना आसान नहीं है,लेकिन गुफ्तगू पत्रिका ने यह कार्य कर दिखाया है, निश्चित रूप से हमें इस तरह के कार्यों की सराहना करनी चाहिए। डा.पीयूष दीक्षित, संतोष  तिवारी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किया। संचालन इम्तियाज अहमद गाजी ने किया।

इश्क सुल्तानपुरी अंक का विमोचन


गुफ़्तगू पत्रिका  का आनलाइन विमोचन करते मुख्य अतिथि डी. आई. जी. श्री लाल जी शुक्ल


दूसरे सत्र में मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसका संचालन नजीब इलाहाबादी ने किया। बुद्धिसेन शर्मा, फरमूद इलाहाबादी, मखदूख फूलपुरी, जयकृष्ण राय तुषार, राजेश श्रीवास्तव, वीनस केसरी, शकील गाजीपुरी, अजीत शर्मा आकाश, रमेश नाचीज, श्रीरंग पांडेय, विवके सत्यांशु, शादमा जैदी शाद, सतीश कुमार यादव आदि ने कलाम पेश किया।



Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 4:02pm

बहुत   बहुत  बधाई  वीनस जी  :)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 4, 2012 at 1:25pm

वीनस जी, इस रिपोर्ट को पढ़ कर सरल ही समझा जा सकता है कि कार्यक्रम कितना सफल रहा, कार्यक्रम के आयोजकों और व्यवस्थापकों को ओ बी ओ की ओर से हार्दिक बधाईयाँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 1:23pm

सही है, आगे के इम्तिहां कसके होंगे ... :-)))))

Comment by वीनस केसरी on March 4, 2012 at 12:47pm
आनंद प्रवीण जी - शुक्रिया

धर्मेन्द्र जी - धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद

अरुण जी - अगला कार्यक्रम अभी से बुक करिये फोन पर बात करता हूँ

सौरभ जी - बस एक शेर

सितारों के आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 9:59am

इस आँखों देखी और पल-पल जी हुई घड़ियों की रपट के लिये धन्यवाद, वीनसजी. 

इस समारोह की सकुशल सम्पन्नता के लिये आपकी संलग्नता, समर्पण और सुव्यवस्थित प्रक्रिया के साथ-साथ ग़ुफ़त्ग़ू के संरक्षक भाई इम्तियाज़ गाज़ी तथा समस्त सदस्यों और शुभचिंतकों की उदार भागीदारी के लिये सादर नमन.

साहित्यकर्म को सामाजिक गतिविधियों के प्रमुख पृष्ठों पर लेजाने के उत्तरदायित्त्व के निर्वहन हेतु हार्दिक बधाइयाँ.

मुझे इस कार्यक्रम में शरीक न हो पाना सदा सालता रहेगा.  आशा है, इम्तियाज़ भाई मेरी इस मज़बूरी को समझेंगे.

Comment by Abhinav Arun on March 4, 2012 at 9:36am
अहा !! यादगार रहा आयोजन .. वहां न होने का ग़म तो है .. पर इस सजीव रपट के ज़रिये हमारी उपस्थिति भी दर्ज हो गयी .. इस माने में आप हमारे संजय हुए वीनस जी !! ऐसा लग रहा है मानो आँखों देखी पढ़ -देख  रहे हैं | आपकी सक्रियता हिंदी जगत के प्रति अप्रतिम योगदान है || हार्दिक साधुवाद और अनंत शुभकामनाएं !!
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 4, 2012 at 12:08am

बधाई बधाई बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
13 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
15 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service