For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूरज से आँख मिलाता ''चिराग'' और काल के गाल पर आँसू ढुलकाती उसकी गज़लें

सूरज से आँख मिलाता ''चिराग'' और काल के गाल पर आँसू ढुलकाती उसकी गज़लें

सौजन्य से : रविकान्त<अनमोलसाब@जीमेल.कॉम>, संजीवसलिल@जीमेलॅ.कॉम

कहते हैं उसके यहाँ देर है अंधेर नहीं. काश यह सच हो. ३४ वर्षीय जवान, संभावनाओं से भरे शायर शशिभूषण ''चिराग'' का चला जाना उसके निजाम की अंधेरगर्दी की तरफ इशारा है. पूछने का मन है ''बना के क्यों बिगाड़ा रे, बिगाड़ा रे नसीबा, ऊपरवाले... ओ ऊपरवाले.'' बकौल श्री रविकान्त 'अनमोल': '' 'चिराग़' जैसा संभावनाओं का शाइर ३४ वर्ष की छोटी आयु में चला जाएगा ऐसा कोई सोच भी न सकता था.'' बुजुर्ग शेर डॉ. महेश चन्द्र गुप्ता 'खलिश" के शब्दों में : ''इतनी अच्छी ग़ज़लें लिखने की काबलियत रखने वाले चिराग़ जी को मरणोपरान्त भी वाह-वाही मिलती रहेगी.''

मुझे लगता है : ''चिराग़ जी की गज़लें सीधे दिल को छूती हैं . हर ग़ज़ल का हर शे'र अपनी मिसाल आप. चिराग़ ने गज़लें कही नहीं ग़ज़लों को जिया... उसकी धडकनें, उसकी साँसें शब्द-शब्द में सुनाई देती हैं.इन ग़ज़लों को पढ़ते समय आनंद फिल्म का राजेश खन्ना अभिनीत पत्र आनंद जेहन में घूमता रहा... कहीं दूर जब दिन ढल जाए, साँझ की दुल्हन... चिराग की कहानी नहीं जानता पर अनुभूति होती है कि कैसे वह काल की आँख में आँख डालकर यह सब लिख सका होगा. इसके लिये बहुत हिम्मत चाहिए... बहुत सच्चाई चाहिए... बहुत खुद्दारी चाहिए... चिराग की कलम चूमने का मन होता है..... काश आज वह मिल जाये पर... पर..''

> १

> मेरी धड़कनों में रवानी रहेगी
> अगर आपकी मेहरबानी रहेगी
>
> चलो नाम अपना शजर पर कुरेदें
> महब्बत की कोई निशानी रहेगी
>
> रहेंगे हमेशा यहाँ चाँद सूरज
> ये दुनिया मगर आनी-जानी रहेगी
>
> यकीं है मुझे तू भी पिघलेगा इक दिन
> कहां तक तेरी बदगुमानी रहेगी
>
> तेरे लब पे मेरा फ़साना रहेगा
> मेरे लब पे तेरी कहानी रहेगी
>
> तुम्हारा तुम्हारा तुम्हारा रहूँगा
> जहाँ तक मेरी ज़िन्दग़ानी रहेगी
>
> 'चिराग़' इस कहानी में फ़िर क्या रहेगा
> न राजा रहेगा, न रानी रहेगी
>***
>
> 2
> किसी की आँख का सपना हुआ हूँ
> चमन में फूल सा महका हुआ हूँ
>
> मिरी हस्ती मिटा डालें न पत्थर
> मैं शीशे की तरह सहमा हुआ हूँ
>
> नज़र आता हूँ बाहर से मुकम्मल
> मगर अंदर से मैं टूटा हुआ हूँ
>
> मैं काँटा और मेरा ये मुकद्दर
> ग़ुलों की शाख़ से लिपटा हुआ हूँ
>
> नहीं कोई जो थामे हाथ मेरा
> भरी दुनिया में यूँ तन्हा हुआ हूँ
>
> कभी तुम मेरी जानिब उड़ के आना
> मैं अंबर की तरह फैला हुआ हूँ
>
> 'चिराग़' ऐसे मक़ाम आए हैं अक्सर
> कभी सागर कभी सहरा हुआ हूँ
>
> 3
> दे सभी मुश्क़िलों का हल मुझको
> पूछना है किसी ने कल मुझको
>
> पाँव ये कह रहे हैं: 'और नहीं'
> हौसिले कह रहे हैं: 'चल मुझको'
>
> जिनपे छिलका न जिनमें गुठली हो
> अच्छे लगते हैं ऐसे फल मुझको
>
> आप अपने से बात करता हूँ
> क्या हुआ है ये आज कल मुझको?
>
> जो गुज़ारा है तुम ने साथ मेरे
> याद है एक-एक पल मुझको
>
> क्या खबर थी जो आज बिछुड़ा है
> लौट कर फिर मिलेगा कल मुझको?
>
> ख़ाक ये कह रही है उड़ उड़ के
> अपने मुंह पर 'चिराग़' मल मुझको
>
>
> 4
> मेरी क़िस्मत में जो लिखा होगा
> मुझको वो ही तो कुछ मिला होगा
>
> मैं उसे चाहता तो हूँ लेकिन
> इक मेरे चाहने से क्या होगा
>
> वक़्त रुक जाएगा वहीं आ कर
> जब मेरा उनका सामना होगा
>
> ये कहे डूबता हुआ सूरज
> एक दिन सब को डूबना होगा
>
> आज हसरत से देख लूँ तुमको
> जाने फिर कब ये देखना होगा?
>
> सब तुझे ढूँढते हैं रह-रह कर
> तेरा कुछ तो अता-पता होगा
>
> तू करे है 'चिराग़' क्यूँ शिकवा?
> जो मिला आज, कल जुदा होगा
>
> 5
> तुमने दिए जो दर्द वो पाले नहीं गये
> हमसे तुम्हारे ज़ख़्म सँभाले नहीं गये
>
> दिन-रात मैंने टूट के कोशिश हज़ार की
> लिक्खे हुए तक़दीर के पाले नहीं गये
>
> जिनको ख़ुदा का दिल ही में दीदार हो गया
> मस्जिद नहीं गए वो शिवाले नहीं गये
>
> माना तुम्हारी चाह के काबिल नहीं थे हम
> फिर क्यों तुम्हारे दिल से निकाले नहीं गये
>
> अब रास्ते में उनकी हिफ़ाज़त करे ख़ुदा
> जो साथ अपने, माँ की दुआ ले नहीं गये
>
> इक बार ही मिली थी नज़र से तेरी नज़र
> आँखों से उसके बाद उजाले नहीं गये
>
> वो सरफिरी हवा भी उड़ा ले नहीं गई
> दरिया भी मुझको साथ बहा ले नहीं गये
>
> मेरी इबादतों में रही कुछ न कुछ कमी
> पत्थर के बुत ख़ुदाओं में ढाले नहीं गये
>
> जो जिस्म पर थे सूख गये कब के ऐ 'चिराग़'
> लेकिन जो रूह पर थे वो शाले नहीं गये
>
>6
> मुझे वो मोतियों में तोल देता
> अगर मैं उसके हक़ में बोल देता
>
> दिल-ओ-जां नाम कर देता मैं उसके
> मुझे जो इन का वाजिब मोल देता
>
> खुले आकाश में उड़ सकता मैं भी
> ख़ुदा जो तू मिरे पर खोल देता
>
> किसे मजबूरियाँ होती नहीं हैं
> अगर कुछ बात थी तो बोल देता
>
> सुना कर प्यार के दो गीत मीठे
> मेरे कानों में भी रस घोल देता
>
> अगर मोहताज ही रखना था मुझको
> मेरे हाथों में भी कश्कोल देता
>
> 'चिराग़' उस को यक़ीं होता जो मुझ पर
> वो सारे राज़ मुझ पर खोल देता
>
>7
> सबकी सुनता है और अपनी कहता है
> दीवाना है अपनी मौज में रहता है
>
> बहते दरिया मिल जाते हैं सागर में
> सागर तो अपने ही अंदर बहता है
>
> तुझ को कोई होश नहीं परवाह नहीं
> किस की याद में खोया-खोया रहता है
>
> रहती है उन आँखों में खामोशी सी
> क्या जाने उस दिल में क्या क्या रहता है
>
> कौन 'चिराग़' किसी का महरम दुनिया में
> कौन किसी से दिल की बातें कहता है
>
>
> शाइर - शशि भूषण 'चिराग़'
>
> 'चिराग़' जैसा संभावनाओं का शाइर ३४ वर्ष की छोटी आयु में चला जाएगा ऐसा
> कोई सोच भी न सकता था।> : रवि कांत 'अनमोल'

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 7, 2010 at 8:28pm
रहेंगे हमेशा यहाँ चाँद सूरज
ये दुनिया मगर आनी-जानी रहेगी,

आदरणीय आचार्य जी, सच मे साहित्य की दुनिया ने एक अनमोल हिरा खो दिया है, सदियों हम सबको अफ़सोस होगा , धन्यवाद इस महान हस्ती से हम सब को परिचित कराने के लिये,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service