For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतिबिम्बों में जी लूं पहले ....

प्रतिबिम्बों में जी लूं पहले ....

By Suman Mishra on Tuesday, 27 November 2012 at 13:25 ·

एक सत्य जो सबको दिखता,

एक सत्य प्रतिबिंबित सा है

वेगवान है जीवन पल पल

रुक थोड़ा तू दिग्भ्रमित क्यों है

जी लूं कुछ पल खुद को खुद में

कह लूं सुन लूं खुद से खुद मैं

एक बार मैं हंस लूं खुद पे

फिर पट बंद हों मन दर्पण के

क्या ये वही जो मैंने देखा

मन वत्सल पर रूप की रेखा

कुछ तो अलग ये होगा मुझसे

मैं या ये प्रतिबिबित चेहरा

जल की सतह शांत पर छिछली

दस्तक दी तो गति पा मचली

आत्मसात दर्पण सा मुझको

क्या है पूछे जैसे सहेली

जीवन जब तक छाया तब तक

परछाई + प्रतिबिम्ब समर्थक

रंग और बे-रंगी सा बाना ,

मन स्थिर , अस्थिर शब् तक

दर्शन क्या है बड़ा जटिल है

एक तिलस्म का जाल बिछा है

सोकर जागा, जाके सोया

मन मंथन हर पल भरमा है

सच को खोजा हर पल छिन में

स्वर्ण में हो या हो तिनकों में

मिला अगर वो बन बैरागी

महल छोड़,,चल मन जंगल में

मैं प्रतिबिम्बों की साक्षी हूँ

सूर्य दूर पर उसकी प्राची

कर उसका स्पर्श जो बिखरूं

पारदर्श मन जीवन जी लूं,

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 10, 2012 at 12:40pm

सुन्दर कविता -

जी लूं कुछ पल खुद को खुद में

कह लूं सुन लूं खुद से खुद मैं

एक बार मैं हंस लूं खुद पे

फिर पट बंद हों मन दर्पण के

क्या ये वही जो मैंने देखा - बहुत खूब बधाई स्वीकारे 

Comment by SUMAN MISHRA on December 9, 2012 at 1:44pm

आदरणीय स्नेही जन,,,आभार आप सभी का,,,,

Comment by vijay nikore on December 9, 2012 at 11:54am

आदरणीया सुमन जी,

जी लूं कुछ पल खुद को खुद में

कह लूं सुन लूं खुद से खुद मैं

एक बार मैं हंस लूं खुद पे

फिर पट बंद हों मन दर्पण के

अति सुन्दर अभिव्यक्ति।

बधाई।

विजय निकोर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2012 at 11:31am

आदरणीया सुमन जी बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई स्वीकारें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2012 at 9:12am

स्वयम से बाते करती रचना अच्छी बन पड़ी है , कुछ पक्तियां अत्यंत ही खुबसूरत रची है ,

मन वत्सल पर रूप की रेखा

कुछ तो अलग ये होगा मुझसे...

वाह, बहुत सुन्दर, इस शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें आदरणीया सुमन जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service