For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हल्की-सी उदासी ...विजय निकोर

हल्की-सी उदासी

 

भावों की आहट

हल्की-सी उदासी

तुम्हें उदास देख कर ...

 

हल्की-सी उदासी

अँधेरे की थाहों में तुम्हें

कुछ टटोलते देख कर...

 

कुछ पहचानी कुछ अनजानी

तुम्हारी चुप्पी भी

चुभती है बहुत ...

 

सिन्दूर जो तुम्हारी मांग में

सजने को था

बिखरा पड़ा ...

 

सहसा हिल जाता है दिल

सोचते, ख़्यालों के कंगूरों पर कहीं

अकेली, तुम रो तो नहीं रही ...

 

तुम्हारी सोच

भयावना रूप लिए

कलेजे को चीर तो नहीं रही ...

 

मैं भी बेकाबू

तुम्हारी उदासी से उपजा दर्द

तुमसे कह नहीं पाता ...

 

एक हल्की-सी उदासी

तुम्हारी कविताओं के पन्नों से

उभर-उभर पसर जाती है ...

 

और एक और हल्की-सी उदासी

पुरानी सलोनी बातों से भीगी

उलझनों के ढाँचे में .. मुझको .. बस ...

 

यह कितनी हल्की-हल्की उदासियाँ

मेरे थरथराते ओंठों पर एक संग

सुनो, बहुत भारी हो गई हैं आज ...

 

... कहाँ हो तुम ?

.

विजय निकोर                           

४ अक्तूबर, २०१३

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

 

 

Views: 884

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:44am

//विशेष भावदशा में मन चला जाता है, आदरणीय//

इस रचना को समय देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सौरभ जी।

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:41am

//अन्त:करण की वेदना को उकेरती हुई रचना मन को छू गई...प्रभावशाली एवं भावगम्य रचना//

 

आपकी प्रतिक्रिया से मुझको और लिखने की प्रेरणा मिलती है।

आपका हार्दिक आभार, आदरणीया वंदना जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:37am

//प्रेम और करुण रस का निश्छल समागम....श्रद्धेय  आपकी इस कविता ने तो मेरी नींद ही उड़ा दी!!! हमेशा की तरह कोमल अति कोमल भावनाओं से सराबोर है आपकी यह रचना//


आपसे मुझको इतना मान मिला है... मेरे पास शब्द नहीं हैं आभार प्रकट करने के लिए ।

आशा है, ऐसे ही सहारा देते रहेंगे, आदरणीय शरदिन्दु जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:26am

//एकांत में मन के भाव का बहुत सुन्दरता से चित्रण//

 

आपके इन शब्दों ने मनोबल बढ़ाया... आपका हार्दिक आभार, आदरणीय जितेन्द्र जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:22am

इस रचना को आपसे सराहना मिली, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय आशीष जी।

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:18am

 

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय अनुराग जी।

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 17, 2013 at 11:11am

//बहुत बढ़िया प्रस्तुति .... भाव पूर्ण रचना//

 

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय शिज्जु जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijay nikore on October 16, 2013 at 7:55am

//बहुत सुन्दर समझा आपने भावों को और बहुत सुन्दरता से लिखा भी है

....प्रशंसा के लिए शब्द नही मिल रहे है सर..//

किसी और के दर्द को, किसी के भावों को सचमुच जानने के लिए

उसके दुखते दिल में उतर जाना पड़ता है, ....  और उसके दर्द को

अपने दर्द की तरह पीना पड़ता है... तब उसी मनोदशा में यह

रचना स्वयं लिखी-लिखी गई है ... अत: इस रचना का श्रय

मुझको नहीं, किसी और के दर्द को है ।

 

आपसे मिली सराहना ... इतना सम्मान... इतना भार .... मैं कैसे सँभालूं .. !

आपका हार्दिक आभार, आदरणीया प्रियंका जी।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2013 at 9:45pm

विशेष भावदशा में मन चला जाता है, आदरणीय.

सादर शुभकामनाएँ .. .

Comment by vijay nikore on October 15, 2013 at 7:15am

आदरणीय रविकर जी, सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी, आपके शानदार सार छंद पढ़कर आनंद आ गया। इस प्रेरित करती प्रस्तुति हेतु…"
5 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"प्रस्तुति क्रमांक - 2 - "कुण्डलिया छंद" - ============================ 1- हरियाली कम हो…"
7 minutes ago
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"- सार छंद - ----------------------------------------------------------- 1- हरियाली कम करके हमने,…"
11 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय बागी सर आपकी प्रशंसा मुग्धकारी है। मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका। सादर"
13 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार आपका। सादर"
14 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, आपकी प्रशंसा मुग्धकारी है। हार्दिक आभार आपका। सादर"
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी हुई। मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु…"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय बागी सर, आपकी मुक्तकंठ प्रशंसा पाकर मुग्ध हूं। हार्दिक आभार आपका। सादर"
21 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश जी, आपकी सहजता के प्रति विशेष आभार।"
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"//झील झरने नद सरोवर सब हैं सूखे आपको अपनी सुराही दिख रही है।// क्या कहने भाई मिथिलेश जी, बहुत ही…"
1 hour ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सातों दोहे एक से बढ़कर एक, आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय तिलक राज जी शब्दों के अर्थ ये रहे। ये शब्द आम ही हैं।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service