For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बर्फ देखो 
पिघलने लगी 
 
साँस पानी की 
जैसे थमी थी 
पत्थरों की  तरह 
जो जमी थी   … 
 
स्थितियाँ अब 
बदलने लगी   … बर्फ देखो। 
 
वो जो उम्मीद-
-जैसे खिला है 
साथ सूरज का 
हमको मिला है 
 
दूरियां पास 
चलने लगी     …बर्फ देखो। 
 
मौसम ने 
बदली है करवट 
पायी है 
जीने की आहट 
 
फिर से सांसें 
मचलने लगी
बर्फ देखो 
पिघलने लगी 
.
--मौलिक /अप्रकाशित 
अविनाश बागडे

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on December 20, 2013 at 7:23pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ह्रदय से आभार। 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 20, 2013 at 7:21pm

savitamishra mam....आभार !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 2:46am

बर्फ़ पिघलेने लगी.. . वाह ! यह पंक्ति-प्रयोग ही सुखद है !!

सादर

Comment by savitamishra on December 19, 2013 at 11:35am

बहुत सुंदर

Comment by AVINASH S BAGDE on December 19, 2013 at 11:02am

मेरी भावनाओं ने आपको स्पर्श किया जितेन्द्र भाई ,आभार !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 19, 2013 at 8:34am

बहुत सुंदर भाव, बधाई स्वीकारें आदरणीय अविनाश जी

Comment by AVINASH S BAGDE on December 18, 2013 at 11:21pm

आभार Dr.Prachi Singh mam

Comment by AVINASH S BAGDE on December 18, 2013 at 11:20pm

शुक्रिया Maheshwari Kaneri mam..

Comment by AVINASH S BAGDE on December 18, 2013 at 11:19pm

आभार  Shyam Narain Verma जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 18, 2013 at 4:38pm

आदरणीय अविनाश जी 

प्रस्तुति...न तो मात्रिकता का निर्वहन कर रही है, न ही किसी निश्चित वार्णिक क्रम में शब्द बंधे हैं, न ही तुकांतता को सही लिया गया है..

मुझे इस अभिव्यक्ति में भाव/पृष्ठभूमि/उद्देश्य भी बहुत स्पष्ट या फिर सशक्त नहीं लगे.. यह रचना सुगढ़ होने के लिए अभी कुछ और समय की मांग करती दिखती है.

फिलहाल इस प्रयास पर शुभकामनाएं स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service