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जन्म मृत्यु के लिए..


कितना अजीब सत्य है न! हम सभी आखिर जन्मे हैं मरने के लिए ही तो,कोई भी तो अमर नहीं है यहाँ.किन्तु चिरनिद्रा में विलीन होने से पहले,हम जाने अनजाने,चाहे अनचाहे कितनी बार मरते हैं ..लेकिन बार बार मर के पुनः जन्मते हैं स्वयं को ,एक बार और मरने के लिए.. और जो नहीं जन्मता स्वयं को वो हारा हुआ मान लिया जाता है .या तो स्वयं के द्वारा ही ,या समाज के द्वारा..

ये ही सत्य का परिचय है लेकिन कोई भी समझना ही नहीं चाहता.सत्य से मेल नहीं करना चाहता,भयभीत हो जाता है इंसान.. क्यों?? इस  क्यों का उत्तर ही तो जीवन के सभी भावों में निहित है ..नहीं क्या ??मोह -माया का विचार हम सब करते हैं,चर्चाओं में या अकेले एकांत में ,किन्तु होता क्या है उससे? तज पाते हैं क्या उस मोह को ? नहीं ...क्योंकि आवश्यक है ये इस जीवन को गति देने के लिए.. हम मनन करते है किन्तु त्याग नहीं पाते और..
चल पड़ते हैं पुनः स्वयं को जन्मते  मृत्यु की ओर..

लेने एक और जन्म मृत्यु के लिए ..   

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Comment by Lata R.Ojha on April 5, 2011 at 12:06am
dhanyavaad Ganesh bhai :)

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 9:22pm
दुनिया में केवल एक ही सत्य है वो है मृत्यु , आपने बिलकुल सही बात कही है लता जी |
Comment by Lata R.Ojha on March 27, 2011 at 11:32pm
sahi baat  Sanjay ji :) shukria :)
Comment by Sanjay Sharma on March 27, 2011 at 9:30pm
 हमारे एक हितेषी ने बताया था कि आपकी जरूरत  ओर इच्छाओ मे अंतर जितना कम हो अच्चा है अपनी चिन्ताओ को कम करने के लिए ....

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