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एक और मुश्किल..

अनगिनत विचारों में से एक विचार चुन पाना  है  मुश्किल ..
विचार चुन भी लो तो उसको शब्दों में पिरोना भी है एक मुश्किल..
 शब्द दे भी दिए तो कोई समझ पाएगा क्या उसको वैसे ही ,
जैसे समझाना चाहते थे? यह भी तो है मुश्किल..
सारी मुश्किलों का सही हल पाना भी है मुश्किल..
हल मिल जाए तो उसको निभाना भी है मुश्किल..
निभा पाए तो लोग कितना साथ देंगे अपना..
लोगों को साथ लेकर चलना भी है कितना मुश्किल..
मान लो लोग चल भी दिए साथ तो राह कितनी होगी मुश्किल..
कितने सवालों के सही जवाब देना है एक मुश्किल..
जवाबों का क्या,कुछ कह भी दो लेकिन..
जो कहा उससे सामने वाले को संतुष्ट करना भी है मुश्किल..
उफ़!मुश्किलों को गिन पाना तो है और भी मुश्किल..
गिन कर उनको संभालना भी है मुश्किल..
संभाल लिया तो चलो थोड़ी राहत होगी ,लेकिन..
आपकी राहत को कोई सहन कर नहीं पाएगा और खड़ी कर देगा..
एक और मुश्किल..:))))))

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Comment by Lata R.Ojha on April 4, 2011 at 8:21pm

Dhanyavaad Ganesh bhai :) jee bahut prayatn kia lekin tab bhi sabhi mushkilen ekattha nahi huin ..sach..bahut hai mushkil :)

 

Comment by Lata R.Ojha on April 4, 2011 at 8:19pm
Aabhaar Vandana ji :) sahi baat ..mushkilon se dar ke chalna kyon chhoda jae bhala :) lekinmushkilon se nijaat paana sadaa hi hota hai mushkil :) hai na !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 7:51pm
बहुत खूब लता जी , सारी मुश्किलों को एक साथ इकठ्ठा करना कोई आप से सीखे :-))) बहुत ही प्यारी रचना , बधाई |
Comment by Lata R.Ojha on March 28, 2011 at 4:24pm
:) aabhaar Tapan ji :) aur aap sabhi ke, rachna pe vichaar paana bhi, to hai na mushkil :)))))))))))
Comment by Tapan Dubey on March 28, 2011 at 4:15pm
इतनी प्यारी रचना बनाना भी है मुश्किल.. बहुत खूब बधाई

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