For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की- किसे गुरेज़ जो दो-चार झूठ बोले है,

१२१२/११२२/१२१२/२२ (११२)
.
किसे गुरेज़ जो दो-चार झूठ बोले है,
मगर वो शख्स लगातार झूठ बोले है.
.
चली भी आ कि तुझे पार मैं लगा दूँगी, 
हमारी नाव से मँझधार झूठ बोले है.
.
सवाल-ए-वस्ल पे करना यूँ हर दफ़ा इन्कार 
ज़रूर मुझ से मेरा यार झूठ बोले है.
.
कहानी ख़ूब लिखी है ख़ुदा ने दुनिया की,
कि इस में जो भी है किरदार, झूठ बोले है. 
.
पटकना रूह का ज़िन्दान-ए-जिस्म में माथा,
बिख़रना तय है प् दीवार झूठ बोले है.   
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 1075

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2018 at 8:04am

आभार आ. बृजेश जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 28, 2017 at 6:03pm
चलिए शंका निवारण हुआ..सादर नमन
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 25, 2017 at 12:29pm

शुक्रिया आ. डॉ आशुतोष जी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 25, 2017 at 9:10am
इस उम्दा ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई आदरणीय नीलेश भाई जी सादर
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 24, 2017 at 9:31pm

शुक्रिया आ. ब्रिजेश जी,
यहाँ बात एक शख्स की हो रही है न कि झूठ की संख्या की अत: हैं नहीं है ही आएगा 
सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 24, 2017 at 9:30pm

शुक्रिया आ. अनुराग जी 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 24, 2017 at 8:04pm
आदरणीय नीलेश जी एक और शानदार ग़ज़ल..सादर नमन करते हुए उत्सुकतावश पुंछ रहा हूँ..मतले की पहली पंक्ति में दो चार झूट बोले है या बोले हैं होना चाहिए..या शायद उस इंसान की बात हो रही जो झूट बोले है..
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 22, 2017 at 9:18pm

शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 22, 2017 at 9:18pm

शुक्रिया आ. सुरेन्द्रनाथ जी 

Comment by Samar kabeer on May 22, 2017 at 3:01pm
जनाब निलेश'नूर'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
25 मई से रमज़ान के कारण मंच से एक महीने की छुट्टी ले रहा हूँ,आपके माध्यम से ये जानकारी मंच के साथियों तक पहुंचा रहा हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद आ. चेतन प्रकाश जी..ख़ुर्शीद (सूरज) ..उगता है अत: मेरा शब्द चयन सहीह है.भूखे को किसी ही…"
5 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मतला बहुत खूबसूरत हुआ,  आदरणीय भाई,  नीलेश ' नूर! दूसरा शे'र भी कुछ कम नहीं…"
16 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
". तू है तो तेरा जलवा दिखाने के लिए आ नफ़रत को ख़ुदाया! तू मिटाने के लिए आ. . ज़ुल्मत ने किया घर तेरे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. लक्ष्मण जी,मतला भरपूर हुआ है .. जिसके लिए बधाई.अन्य शेर थोडा बहुत पुनरीक्षण मांग रहे…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. आज़ी तमाम भाई,मतला जैसा आ. तिलकराज सर ने बताया, हो नहीं पाया है. आपको इसे पुन: कहने का प्रयास…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"221 1221 1221 122**भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आइन्सान को इन्सान बनाने के लिए आ।१।*धरती पे…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्क-ए-तअल्लुक भी…"
10 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"२२१ १२२१ १२२१ १२२ ये तर्क-ए-तअल्लुक भी मिटाने के लिये आ मैं ग़ैर हूँ तो ग़ैर जताने के लिये…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )

चली आयी है मिलने फिर किधर से१२२२   १२२२    १२२जो बच्चे दूर हैं माँ –बाप – घर सेवो पत्ते गिर चुके…See More
13 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर नज़र ए करम का देखिये आदरणीय तीसरे शे'र में सुधार…"
18 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर ज़र्रा नवाज़ी का सादर"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service