For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ बहत्तरवाँ योजन है।

 .   

 

छंद का नाम  -  सरसी छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

18 ऑक्टूबर’ 25 दिन शनिवार से

19 ऑक्टूबर 25 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

सरसी छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

***************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 18 ऑक्टूबर’ 25 दिन शनिवार से 19 ऑक्टूबर 25 दिन रविवार तक

 रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 364

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम...

 प्रात: वंदन,  आदरणीय  !

सरसी छंद :

रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार ।

वस्तुएं   अभूतपूर्व    सस्ती, परिवार  खुश अपार  ।।

पटरी  पर  लगी  दुकानें हैं,  सस्ता  है  घी - तेल ।

क्रीम पाउडर सस्ते बिकते,  सस्ते   इत्र   फुलेल ।।

और अवसर दीपावली है,  मने   खुशी   त्योहार ।

मम्मी लाएगी साड़ी अब,  पापा   कमीज   चार ।।

पप्पू  क्रिकेट बैट  खरीदे, दादी   लाती   कार ।

गुड़िया लायी है मोबाइल,  मम्मी को गलहार।।

खूब   खरीदे   कपड़े    सस्ते,  बर्तन  भी  त्यौहार  ।

चाँदी का सिक्का पूजन हित,  मिट्टी   दिए बहार ।।

मूर्ति लक्ष्मी गणेश खरीदी,  हित  खुशी  कुम्भकार ।

होटल में खाया खाना भी, छूट  मिली   थी   यार  ।।

मौलिक व अप्रकाशित 

चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ 

चौपाई औ’ दोहा में है, सरसी की यह ठाठ 

विषम चरण में चौपाई है, सम दोहा का रूप 

विधा-शिल्प पर अगर पकड़ तो, रचना-कर्म अनूप 

आदरणीय चेतन प्रकाशजी, आपकी रचना शिल्प के विधान पर कसी होनी थी. आयोजन की भूमिका में छंद सम्बन्धी लिंक के माध्यम से आप विधान-आलेख को देखें तो वहाँ इस छंदबद्ध एक उदाहरण भी दिया गया है. बहरहाल, आपकी उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को बहुगुणित किया है. हार्दिक धनयवाद, आदरणीय. 

शुभातिशुभ

 आदरणीय चेतन प्रकाश जी

जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको..सादर

आदरणीय चेतन प्रकाशजी 

दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ ।

छंद पर आपका प्रयास सराहनीय है। हार्दिक बधाई।

आदरणीय सौरभ भाईजी के सार्थक सुझावों के बाद संशोधित छंद पुनः पोस्ट कर सकते हैं। 

सरसी छंद

*

बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार।

आए  लेने  नन्हे-मुन्ने, ख़ुशी-ख़ुशी   बाज़ार।

समझ गए हम देख सजावट, नहीं छिड़ी है रार।

आया है फिर खुशियों वाला, दीपों  का त्यौहार।।

 

नये  रंग से  सजे सभी घर, जगमग करते द्वार।

चलो पहन लें वस्त्र नये हम, बाँटें सब में प्यार।

लाना  है मिष्ठान हमें भी, सब लज्ज़त रसदार।

आया है फिर खुशियों वाला, दीपों का त्यौहार।।

 

सजे-धजे  बाज़ार  बुलाते, लिये  कई  अरमान।

महँगाई के कारण जो थे, कल तक सब वीरान।

बाँट रहे उपहार वही अब, लगा-लगा अम्बार।

आया है फिर खुशियों वाला, दीपों का त्यौहार।।

 

गली-गली  में  भूख बढ़ाते, महक  रहे  पकवान।

गंध नासिका लेकर करती, जिन सबकी पहचान।

और स्वाद को जिह्वा देती, मन ही मन विस्तार।

आया है फिर खुशियों वाला, दीपों का त्यौहार।।

 

आकाशदीप  भी  लाएँगे, एक  नहीं  दो  चार।

हमें  सजाना  हैं कुछ  सूने, उन  दीपों  से द्वार।

बुझे  हुए  चूल्हों  के जलते, बनना   है   अंगार।

आया है फिर खुशियों वाला, दीपों का त्यौहार।।

#

मौलिक/अप्रकाशित.

 

आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।

आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हृदय से आभार. सादर 

आदरणीय अशोक भाईजी,

दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ ।

सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।

हर छंद में  // आया है फिर खुशियों वाला, दीपों का त्यौहार //  का सुंदर सटीक प्रयोग किया है आपने। 

बुझे  हुए  चूल्हों  के जलते, बनना   है   अंगार। ..... भाव स्पष्ट नहीं हो पाया अंगार क्यों और किसे बनना है ? 

बुझे हुए सब चूल्हे दहके , बनकर के अंगार ।  ........... या ऐसा ही कुछ .... 

सादर

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत छंदों पर आपकी सराहना पाकर सृजन धन्य हुआ. "बुझे  हुए  चूल्हों  के जलते, बनना   है   अंगार" ... अति निर्धन को भी सहारा देना यही इसका आशय है. किसी  घर भी ऐसा न हो कि वह  परिवार भूखा रह जाए. सादर 

धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
11 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
17 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service