For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएं (२०२१ -१ )- डॉo विजय शंकर

जो समझते हैं
वे जमे पड़े हैं ,
ये ख्याल है उनका ,
सच में तो वे
केवल पड़े हैं। .........1 .

छत पड़ी भी नहीं
और बुनियाद खिसक रही है ,
वो महल बनाने चले थे
कितनों की झोपड़ी भी उजड़ गई ,
लोग फिसल रहे हैं या उनके
पैरों के नीचे जमीन खिसक रही है। ......... 2 .

यूँ ही सफर में ही गुजर जाए , जिंदगी
अच्छा है ,
जिनकी तलाश हो
वो मंजिलों पे मिला नहीं करते ll ......... 3 .

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 867

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2021 at 8:57am

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , आपकी उपस्थिति एवं सराहना के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 4, 2021 at 4:21am

आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाएँ हुई हैं । हार्दिक बधाई । 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 4, 2021 at 2:33am

आदरणीय सौरभ पांडे जी , आपकी स्वीकृति और अलंकृत प्रतिक्रया ने रचना का मान बढ़ाया है , रचना सार्थक हुयी। आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 4, 2021 at 2:30am

आदरणीय विजय निकोर जी , आपकी स्वीकृति माने रखती है , रचना पर आपकी मुहर लग गई , रचना सफल हो गई, आभार एवं धन्यवाद , सादर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 30, 2021 at 10:14pm

तीन क्षणिकाएँ, तीनों की अंतरधारा तीव्र कि न जमे तो गये. 

सच कहा आपने, पैरों तले जमीन ही खिसक रही है. अब बकवास नहीं चलने वाली. हा हा हा.. 

आदरणीय विजय शंकर जी, आपकी सघन सोच कीससफलता पर हार्दिक बधाई.. 

Comment by vijay nikore on September 30, 2021 at 12:54pm

प्रिय मित्र, हरि ॐ

गज़ब की क्षणिकाएँ लिखी है

बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 30, 2021 at 5:57am

आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, रचना पर आपकी दृष्टि का स्वागत है। उत्साह वर्धन के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 29, 2021 at 5:14pm

जनाब डॉ० विजय शंकर जी आदाब , बहुत अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं, बधाई स्वीकार करें I सादर। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 29, 2021 at 5:11pm

आदरणीय दण्ड पाणिक नाहक़ जी नमस्कार , रचना पर आपकी उपस्थिति एवं रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 29, 2021 at 5:08pm

आदरणीय समर कबीर साहब,नमस्कार , मैं आजकल यू एस ए में हूँ। रचना पर आपकी उपस्थिति एवं रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service