For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(१) बच्चों के प्रति

दिल से प्रणाम करो, पढ़-लिख नाम करो, 

हाथ आया काम करो, यही देश प्रेम है,

अपना भले को मानो, दुष्ट ही पराया जानो,

सबका भला ही ठानो, यही देश प्रेम है |

सदा सद-बुद्धि धरो, बुद्धि से ही युद्ध करो,

हवा-पानी शुद्ध करो, यही देश प्रेम है |

जिम्मेदारी ये हमारी, खुश रहें नर-नारी,

बचे न कोई बीमारी, यही देश प्रेम है ||

 

(२) समझदारी

आर्कीटेक्ट जोरदार, ठेकेदार दमदार,

अच्छे रखें किरदार, जिनमें ईमान है |   

थोड़ा सा ही अंतर है, लगता है माल वही,

अच्छी नई तकनीक, भवन की जान है |

मत घबराएं कभी, बहका कोई न पाए,

वाल बांधें नौ-नौ इंची, यही फरमान है |

माल अच्छा ही लगाएं, मजबूत देश बने,   

भवन भूकंपरोधी, तो ही कल्याण है ||

 

(३) ऐतिहासिक तथ्य

'सिन्धु' से ही 'हिन्दू' बना, कहते जिसे हैं जाति,

'हिन्दू' सुविचारधारा  जाति नहीं, शान है |

सच्चे सारे आदि-ग्रन्थ, जिनमें है रामसेतु,

सच्चे ही हैं धर्मग्रन्थ, सामने प्रमाण है |

बेचो नहीं रामसेतु, इसमें जो थोरियम है,

कहते हैं साइंटिस्ट, कहता विज्ञान है |

उठा यदि पूरा देश, भग्न होंगें तेरे केश,

दिल में रहेगा क्लेश, खुद ज्ञानवान है ||

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 14, 2012 at 9:44pm

स्वागत है आदरणीय अग्रज उमाशंकर जी ! तीनों घनाक्षारियों के भावों की दिल खोल कर सराहना करने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार आदरणीय ! सादर 

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 13, 2012 at 10:57pm

प्रिय अम्बरीश जी तीनो रचना अपने अपने जगह बिलकुल सही है

सिन्धु' से ही 'हिन्दू' बना, कहते जिसे हैं जाति,

'हिन्दू' सुविचारधारा  जाति नहीं, शान है |  आपका सौ प्रतिशत समर्थन है

समझदारी

आर्कीटेक्ट जोरदार, ठेकेदार दमदार,

अच्छे रखें किरदार, जिनमें ईमान है | जहां ना पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे कवि.... इस क्षेत्र में आपने रचना धर्मिता के द्वारा अपने उद्देश्य पूर्ण सुविचार को कविता के माध्यम से प्रकट किया...... आपकी सकारात्मक सोच को सादर अभिवादन

मजबूत देश बने, आपके देश प्रेम की कामना को सादर अभिवादन

बच्चों के प्रति....बहुत ही शिक्षा प्रद कविता है.....भलाई जिसका मूल तत्व है . ...यही देश प्रेम है

बच्चों के लिए आपके इस रचना पर सादर आभार

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 12:10pm

आदरणीय मित्रों ! यू ए ई से प्रकाशित ई पत्रिका अनुभूति / अभिव्यक्ति की संपादक आदरेया पूर्णिमा वर्मन ने इन तीनों घनाक्षरियों को  'अनुभूति' में आज ही प्रकाशित किया है !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:15am

धन्यवाद भाई संजय कुमार सिंह जी आपका स्वागत है ...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:08am

स्वागत है आदरणीय सौरभ जी ! अपने विशिष्ट अंदाज़ में सराहना के लिये कोटि-कोटि आभार मित्रवर ! तीसरे छंद के अंत में उलझन जैसा कुछ भी तो नहीं है आदरणीय .....सब कुछ तो आईने की तरह स्पष्ट है ....सादर  

और अधिक स्पष्ट करने के लिए आप इसे ऐसे भी पढ़ सकते हैं

'उठ खड़ा यदि देश,एक भी न होगा केश,

दिल में रहेगा क्लेश, खुद विद्वान है ||'

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:06am

स्वागत है आदरणीय बागी जी ! इन घनाक्षारियों को पसंद करने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ! सादर ....

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 13, 2012 at 2:05am

धन्यवाद भी कुमार गौरव जी !

Comment by Sanjay Kumar Singh on August 12, 2012 at 5:15pm

Rachna achchi hai, sandesh deti rachna, rachnakar ko badhai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 12, 2012 at 1:04pm

तीन छंद, तीन संदेश.  वाह !

देश प्रेम पर छंद अच्छा किया बच्चों को अर्पित किया आदरणीय. उन कोमल मृतिका को ही अब साँचने का भगीरथ प्रयास परिणामी होगा. अधिकांश वयस्कों की कारगुजारियों और उनके हठ व अहं को देख कर तो सद्-पुरुष ही नहीं उनकी आत्मा तक रोती है. राक्षस क्या ऐसे ही न होते होंगे जिनका संहार करने अक्सर देव अवतार लेने को बाध्य होते रहे हैं ?!

दूसरे कवित्त में आपने अपने डोमेन के जॉरगन में सभी को संदेश दिया है. बहुत सुन्दरता से भाव अभिव्यक्त हुए हैं.

तीसरे छंद का प्रारम्भ सनातन तथ्य को साझा करता हुआ उठा है. कितु इस छंद के आखिरी पद में मैं थोड़ा उलझ गया.

बहरहाल, इस संदेशपरक अभिव्यक्ति के लिये आपको सादर बधाइयाँ.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 12, 2012 at 9:50am

अम्बरीश भाई, तीनो घनाक्षारियां बहुत ही अच्छी बनी हैं, समाज को एक सन्देश देने का प्रयास आपकी रचनाओं में सदैव ही परिलक्षित होता है, कथ्य और शिल्प वाह वाह, बहुत बहुत बधाई आदरणीय इन कृतियों के लिए |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
15 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service