For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राम रम में घोलकर वो /लिख रहे चौपाईयां

राम रम में घोलकर वो

लिख रहे चौपाईयां

कोंपले, कत्‍थई, गुलाबी

औ हरी पुरवाईयाँ

पा भभूति हो चली हैं

पेट वाली दाईयाँ

खोल मुँह बैठा कमंडल

सुरसरि की आस में

ध्‍यान भी, करता यजन भी

डामरी उल्‍लास में

पर सरफिरा हाकिम समझता

खिज्र की रानाईयाँ

चूडि़याँ टुन से टुनककर

छन से पड़ी जिस होम में

बड़ा असर रखता गोसाईं

नीरो के उस रोम में

नरमेध के इस अश्‍व को

यह रेशमी विश्‍वास है

नर हैं सभी पंगु मगर

मादा सहज, गौ ग्रास है

फर्क है पड़ता किसे अब

कितनी कटी कलाईयाँ

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on September 2, 2013 at 6:52pm

आदरणीय वीनस जी, आपको बिम्‍ब संयोजन भाया यह एक आश्‍वस्ति दे गई, डर था कि इसे स्‍वीकृति ना मिले तो पूरी रचना निष्‍प्राण हो जाएगी । बहुत आभार आपका, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on September 2, 2013 at 6:51pm

आदरणीय सौरभ जी, आपकी प्रतिक्रिया से आश्‍वस्ति मिली । अभिनव बिम्‍बों की स्‍वीकृति को लेकर संशय में था पर आपकी स्‍वीकृति से अब राहत महसूस कर रहा हूं, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on September 2, 2013 at 6:49pm

आदरणीय अन्‍नपूर्णा जी, राम भाईजी,महिमा जी, विजयश्री जी आप सबका हार्दिक आभार, सादर

Comment by वीनस केसरी on September 2, 2013 at 4:21am

वाह वा मजा आ गया ... क्या खूबसूरत बिम्ब संयोजन है .... भव्यता नव्यता के साथ रम गई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 10:50pm

बात तो सही ही कहा है .. .

इस गीत और अभिनव बिम्ब के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ, आदरणीय राजेश भाई

Comment by vijayashree on August 31, 2013 at 10:43pm

नरमेध के इस अश्‍व को

यह रेशमी विश्‍वास है

नर हैं सभी पंगु मगर

मादा सहज, गौ ग्रास है

फर्क है पड़ता किसे अब

कितनी कटी कलाईयाँ

गीत का हर शब्द बहुत ही सुंदरता से पिरोया  है आपने 

बधाई स्वीकारें  

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:37pm

नरमेध के इस अश्‍व को

यह रेशमी विश्‍वास है

नर हैं सभी पंगु मगर

मादा सहज, गौ ग्रास है

फर्क है पड़ता किसे अब

कितनी कटी कलाईयाँ

 

वाह बहुत सुंदर आदरणीय ..आपके गीत , नवगीत .मंत्रमुग्ध कर देते हैं .. कहाँ से चुन चुन कर शब्दों को पिरोतें है और कितने कम शब्दों में क्या न क्या कह जाते हैं  ... ह्रदय तल से बधाई आपको

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2013 at 10:09pm

आदरणीय राजेश जी,आपकी रचना कुछ अलग ही होती है बहुत  सुन्दर///हार्दिक  बधाई  आपको //सादर  

Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 9:24pm

फर्क है पड़ता किसे अब

कितनी कटी कलाईयाँ

 

आदरणीय राजेश झा जी सुंदर पंक्तियाँ आपको बधाई ।

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:15pm

आदरणीय रविकर जी, मेरी रचना पर सुंदर प्रतिक्रिया देकर आपने मेरा मनोबल बढ़ाया, सादर आभारी हूं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। निकले न…"
13 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय Zaif जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार करें। //हम ख़ुद से लड़ के रात कहीं भाग…"
57 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"221 2121 1221 212 अनजान कब समन्दर जो तेरे कहर से हम रहते हैं बचके आज भी मौजों के घर से हम कब डूब…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"//और गुणीजनों की टिप्पणी भी देखते हैं आपको तो हर शेर में ख़ामियाँ नज़र आईं सिर्फ़// जनाब आज़ी तमाम…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया, "देखे…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये एक एक शेर ख़ूब है, गिरह ज़बरदस्त सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये हर शेर कमाल है, गिरह ख़ूब सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय मिथिलेश जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये दूरबीन ,गिरह ख़ूब हुई गुणीजनों की…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service