For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

          टीवी देखते देखते अचानक राम लाल बड़ी तेज़ी से फोन की ओर लपका, घर से दूर बड़े शहर मे पढ़ रही बिटिया से बात कर कुछ संयत हुआ, फिर दोनो आँखें बंद कर बुदबुदाया ……
"हे !  प्रभु आपका लाख-लाख शुक्र है बिटिया सकुशल है" 
                   टीवी पर अभी भी एक महिला फोटोग्राफर के साथ हुए सामूहिक बलात्कार पर विश्लेषण जारी था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 1288

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on September 6, 2013 at 10:18pm

सच्चाई को बहुत ही सुंदर ढंग से पेश किया आपने ..ऐसी स्थिति का सामना आज मेट्रो सिटी में काम करने और पढने वाली हर लड़की के परिवारवाले कर रहे है .....बधाई आपको   कभी कभी तो बस वापस आ जाओ ..दिल्ली रहने लायक नहीं है सुनना पड़ता है ...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 10:10pm

आपके कहे से सहमत हूँ आदरणीया आनपूर्णा जी, लघुकथा पर उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार | 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 6, 2013 at 5:52pm

बहुत ही समसामयिक लघु कथा आदरणीय सर जी '''सादर बधाई स्वीकारें ...............

Comment by annapurna bajpai on September 6, 2013 at 3:56pm

आदरणीय बागी जी , इस समय चल रही ज्वलंत समस्या का अत्यंत लघु रूप मे बढ़िया चित्रण , आज ये डर हर माँ बाप को सताता है जिसकी बेटी घर से बाहर होती है और जब तक सही सलामत वह लौट नहीं आती ।  आपको बहुत बधाई ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 3:05pm

प्रिय अनुज अरुन शर्मा जी, आप लघुकथा  आत्मा तक पहुंचे यही इस कृति की सफलता है बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 3:03pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया गीतिका वेदिका जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 3:01pm

सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रविकर जी | 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 3:00pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपकी टिप्पणी और भी बेहतर लेखन हेतु प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 2:59pm

सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया शुभ्रा शर्मा जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 6, 2013 at 2:58pm

उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय अमन कुमार जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service