For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमने घर की दीवारों में    

जीवन की इक आस सजायी

 

रत्ती-रत्ती सुबह बटोरी

टुकड़ा-टुकड़ा साँझ संजोई

इस चुभती तिमिर कौंध में

दीपों की बारात सजायी

 

तिनका-तिनका भाव बटोरे 

टूटे-फूटे सपन संजोये

साँसों की कठिन डगर पे

आशा ही दिन-रात सजायी  

 

भूख सहेजी, प्यास सहेजी 

सोती-जगती रात सहेजी 

यूँ चलते, गिरते-पड़ते 

कितनी टूटी बात सजायी

 

तेरे हाथों के स्पर्शों ने   

इन होठों की मुस्कानों ने  

मेरे इस सूने मन में

सहज सुनहरी प्रीत सजायी  

 

                  - बृजेश नीरज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 6:51pm

आदरणीय केवल जी, मेरी रचना को समय देने तथा मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक आभार!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 13, 2013 at 6:46pm

आ0 बृजेश भाई जी, भाई जी यह क्या है?

हमने घर की दीवारों में .......हमने या ..मैंने
जीवन की इक आस सजायी

रत्ती.रत्ती सुबह बटोरी
टुकड़ा.टुकड़ा साँझ संजोई.......प्रवाह बाध्य?
इस चुभती तिमिर कौंध में......गेयता बाध्य है!
दीपों की बरसात सजायी.......दीपों की अवलियां या कतारें या समूह होते हैं..आपने दीपों की बरसात ही कर दी। वाह.. वाह खूब कही।

तिनका.तिनका भाव बटोरे
टूटे.फूटे सपन संजोये......स्वप्न या सपने
साँसों की कठिन डगर पे
उम्मीदों की बारात सजायी..........मात्रा का भी निर्वहन नहीं हुआ।

भूख सहेजीए प्यास सहेजी
सोती.जगती रात सहेजी
यूँ चलतेए गिरते.पड़ते
कितनी टूटी बात सजायी

तेरे हाथों के स्पर्शों ने
इन होठों की मुस्कानों ने......मुस्कानों  ने या से
मेरे इस सूने मन में
सहज सुनहरी प्रीत सजायी
-------------------------------------------------------------------------सादर,

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 6:32pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 6:31pm

आदरणीय शिज्जू जी आपका हार्दिक आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 6:31pm

आदरणीय अरुन भाई आपका हार्दिक आभार!

Comment by annapurna bajpai on September 13, 2013 at 6:22pm

बहुत ही सुंदर रचना पढ़ने वाला मंत्र मुग्ध सा पढ़ता चला जाता है। बार बार पढ़ें फिर भी कम ही है आपकी लेखनी का जादू कुछ ऐसा ही है । बहुत बधाई आपको आ0 बृजेश जी ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 13, 2013 at 4:43pm

वाह आदरणीय बृजेशजी प्रवाहमयी प्रस्तुति है पढ़ो तो यूँ लगता है पढ़ता ही रहूँ, दिली दाद कुबूल करें

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 13, 2013 at 3:54pm

वाह वाह आदरणीय बृजेश भाई जी मुग्ध कर दिया आपने बहुत ही सुन्दर मनोहारी रचना है भाई जी भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई स्वीकारें.

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 3:34pm

आदरणीय जितेन्द्र जी आपका बहुत आभार!

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 3:33pm

आदरणीय रविकर जी मार्गदर्शन हेतु आपका हार्दिक आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद में चित्रानुकूल भाव ----- ब्रह्मा जी के आगे कौआ, रोया निज दुख गाया,इस जग में सब करते नफरत,…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, सौरभ साहब, आपने मेरी प्रस्तुति को संस्तुत किया, इसके लिए हृदय से आपका आभारी हूँ, श्री जी।…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपकी प्रस्तुति का स्वागत है, आदरणीयचेतन प्रकाश जी। चित्र के मर्म को आपने समझा, तदनुरूप…"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद  [ छन्न पकैया ] ++++++++++++++++++   छन्न पकैया छन्न पकैया,क्वाँर मास में…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंदः श्राद्ध पितृ-पक्ष आवश्यक है, उद्धार हेतु आत्मा करें हुतात्मा के हित तर्पण, मिले उन्हें…"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service