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ग़ज़ल- सारथी || कोई अच्छा बहाना देख लेना ||

कोई अच्छा बहाना देख लेना

कहीं दिलकश ठिकाना देख लेना /१ 

अगर मिलना हो तुमको हमनशीं से 

तो फिर मौसम सुहाना देख लेना/२  

भले ही मुश्किलों में हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना देख लेना/३  

मजा लेना अगर है दुश्मनी का

कोई  दुश्मन पुराना देख लेना /४  

किसी की आबरू यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना देख लेना/५  

सितारों की कबड्डी में मजा क्या 

कभी परदा हटाना देख लेना /६  

हमारा ‘सारथी’ है नाम समझे

मिज़ाजे - शाइराना देख लेना /७  

.............................................
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 

 

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Comment by वीनस केसरी on September 21, 2013 at 11:16pm

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है .. ढेरो दाद क़ुबूल फरमाएँ

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 21, 2013 at 7:48pm

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |

किसी की आबरू ..यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना .. देख लेना |

प्रिय बैद्यनाथ जी ...बहुत सुन्दर भाव लिए गजल ..अच्छे अशआर ....भ्रमर ५ 

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