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1.
जो चाहते हो सब मिलेगा, कोशिश करके तो देख,
अंधेरा मिट जायेगा, एक दीप जला करके तो देख,
आंसू बहाने से कभी मंजिल नहीं है मिला करती,
तू मझधार में अपनी नाव कभी उतार करके तो देख।

2..
करके अहसान किसी पर जताया मत कीजिये,
अपने काम को दुनिया में गिनाया मत कीजिये,
मेरे बिना चलेगा नहीं यहां किसी का काम,
ऐसे विचार दिल में कभी लाया मत कीजिये।

3.
आओ अब अंधविश्वासों को भुला कर देखते है,
इस धरा पर प्रेम की गंगा बहा कर देखते है,
धर्म के ठेकेदारों ने सिखाया नफरत करना,
चलो अब नफरत की दीवार ढहा कर देखते है।

4.
अमीर बन जाओ भले ही पर बेज़मीर मत होना,
उम्मीदों की मंजिल जरुर मिलेगी अधीर मत होना,
चाहे लाख कांटे बिखेरे दुनिया तेरी राह में,
किसी की खुशियों की राह में तुम लकीर मत होना।

5.
भ्रष्टाचार अपने देश का एक इश्तिहार हो गया है,
काला धन नेताओं के दिल का करार हो गया है,
ईमानदारी व सच्चाई का हो रहा है उपहास,
छल कपट ही आज का बड़ा कारोबार हो गया है।

.
- दयाराम मेठानी

(मौलिक / अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 1:09pm

बहुत खुबसूरत मुक्तक ,बधाई जी 

Comment by Abhinav Arun on October 17, 2013 at 12:15pm

सुन्दर सशक्त मुक्तकों के लिए दिली मुबारकबाद आदरणीय हार्दिक बधाई !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 17, 2013 at 11:02am

//जो चाहते हो सब मिलेगा, कोशिश करके तो देख,
अंधेरा मिट जायेगा, एक दीप जला करके तो देख,
आंसू बहाने से कभी मंजिल नहीं है मिला करती, 
तू मझधार में अपनी नाव कभी उतार करके तो देख// बहुत बढ़िया

//अमीर बन जाओ भले ही पर बेज़मीर मत होना,
उम्मीदों की मंजिल जरुर मिलेगी अधीर मत होना,
चाहे लाख कांटे बिखेरे दुनिया तेरी राह में, 
किसी की खुशियों की राह में तुम लकीर मत होना// अप्रतिम

वाह आदरणीय दयारामजी बहुत बेहतरीन मुक्तक रचे हैं बधाई आपको

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