For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोले मन की भोली पतियाँ

भोले मन की भोली  पतियाँ

लिख लिख बीतीं हाये रतियाँ

अनदेखे उस प्रेम पृष्ठ को

लगता है तुम नहीं पढ़ोगे

सच लगता है!

बिन सोयीं हैं जितनीं रातें

बिन बोलीं उतनी ही बातें

अगर सुनाऊँ तो लगता है

तुम मेरा परिहास करोगे

सच लगता है!

रहा विरह का समय सुलगता

पात हिया का रहा झुलसता

तन के तुम अति कोमल हो प्रिय

नहीं वेदना सह पाओगे

सच लगता है!

संशोधित

मौलिक व अप्रकाशित

९॰११॰२००० - पुरानी डायरी से

Views: 1525

Comments are closed for this blog post

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 12:13am

आपका बहुत बहुत आभार आ० लक्ष्मण जी! प्रिय राम भैया!

Comment by वेदिका on December 3, 2013 at 12:12am

आ० कुंती दी! आभार व्यक्त करती हूँ, आपने रचना को आशीर्वाद दिया| मेरे लिए बहुत संतोषप्रद है| पूर्व लिखी रचना को संशोधित किया है| आपको कमी लगती है तो और भी समय देके इसे और अच्छा बनाऊँगी|

सादर!!   

Comment by ram shiromani pathak on December 3, 2013 at 12:06am

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीया गितिका जी  … सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 2, 2013 at 7:07pm

भोले मन से लिखी अंतर्मन की बात | बधाई आद्रेया गीतिका वेदिका जी -

बतिया ले तो ठीक रहेगा 

राह विरह का नहीं सुलगेगा 

कोमल मन भी हल्का होगा |

लगता है, ठीक रहेगा 

Comment by coontee mukerji on December 2, 2013 at 4:41pm

कोमल मन की कोमल अभिव्यक्ति. बहुत सुंदर.तब अनुभव कम होगी फिर से इसमें रंग भरने की ज़रूरत है ,निखर आयगी.बात मानो.

शुभेच्छु

कुंती

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 2:18pm

आपका पुनश्च आभार आ० कल्पना दी!

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 2:11pm

आ0 राजेश जी! आपके स्टेटमेंट ने अजीब सी खुशी दी है! आभार आपका !!

Comment by Meena Pathak on December 2, 2013 at 2:10pm

रचना के शिल्प के बारे मे ज्यादा नही जानती प्रिय गीत पर ये नवगीत पढ़ कर मन बहुत आन्दित हुआ | बहुत बहुत सुन्दर रचना | हृदय से ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ 

Comment by कल्पना रामानी on December 2, 2013 at 1:24pm

ये हुई न बात!  अब तो बेहतरीन गीत बन गया। अति सुंदर! बहुत बहुत बधाई आपको। मैं जानती थी कि आपके लिए यह बहुत आसान है।

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 12:16pm

जय हो आदरेया, आपकी हर बार जय हो । बहुत खूबसूरत रचना है ।  कोई व्‍यक्ति तो संगीत का जानकार हो उनसे गाने के लिए कहें, फिर देखें इस रचना का शबाब, आप स्‍वयं चकित हो जायेंगी, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
57 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service