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पहले थे हम इक हकीकत अब कहानी हो गए/ ग़ज़ल

पहले थे हम इक हकीकत अब कहानी हो गए

जब से अपने ख्वाब यारो आसमानी हो गए

 

पांच सालों में महल सा अपने घर को कर लिया

चोर डाकू करके मेहनत खानदानी हो गए

 

तुम जियो खुश जिन्दगी भर ऐसा उसने जब कहा

एक सिक्का था उछाला हम भी दानी हो गए

 

यूँ हमारी हर ग़ज़ल खुशबू हुई औ सर चढ़ी 

देखते देखते हम जाफरानी हो गए

 

“दीप” गम के पर्वतों को तुमने क्या पिघला दिया  

गर्दिशों की कौम के सब पानी पानी हो गए

 

संदीप पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 3:09pm

आदरणीय सदीप भाई , वाह वाह !!! क्या कामयाब गज़ल कही है , सारे शे र लाजवाब है !!!!! बधाई बधाई बधाई !!!!!

पांच सालों में महल सा अपने घर को कर लिया

चोर डाकू करके मेहनत खानदानी हो गए ---------------- इस शे र के लिये ढेरों बधाइयाँ !!!!!!

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