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उत्तर दो ! (कविता)

सुन कर द्रोपदी की चित्कार
कलेजा धरती का फटा क्यों नहीं
देख उसके आँसुओं की धार  
अंगारे आसमां ने उगले क्यों नहीं
चुप क्यों थे विदुर व भीष्म
नेत्रहीन तो घृतराष्ट्र थे
द्रोण ने नेत्र क्यों बंद कर लिए
नजरें क्यों चुरा लिए पाँचों पांडवों ने  
कहाँ था अर्जुन का गांडीव
बल कहाँ था महाबली भीम का
क्या कोई वस्तु थी द्रोपदी
जिसे दाँव पर लगा दिया  
ये कौन सा धर्म था धर्मराज ?

कहाँ थे कृष्ण,
वो तो थी सखी तुम्हारी
स्पर्श करने से पहले ही  
भष्म क्यों नही कर दिया  
हाथ बढ़ाने से पहले ही
सुदर्शन क्यों नही चला दिया ?

हे कृष्ण !
प्रतीक्षा क्यों करते रहे ?
तुम तो अन्तर्यामी थे,

सब के साथ तुम भी
मूकदर्शक क्यों बने रहे ?
क्या दोष था यज्ञसेनी का,
मात्र स्त्री होना ही ना ??

एक स्त्री को वस्तुमात्र
क्यों बना दिया मुरलीधर ?
जिसका कोई भी केश खींच ले,
वस्त्र खींच ले, लगा दे दाँव
बना दिया क्यूँ
इतना विवश और लाचार
चुप क्यों हो मधुसूदन,
उत्तर दो !
ये प्रश्न मुझको बेध रहे हैं
अंतर्मन को छेद रहे हैं
इस वेदना का निदान क्या  ?
उत्तर दो कान्हा !!

मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by कल्पना रामानी on April 11, 2014 at 7:25pm

आग उगलते हुए अनेकानेक प्रश्नों के  उत्तर नारी स्वयं ही आत्म चिंतन द्वारा ढूँढ सकती है। दृढ़ संकल्प और एकता के बल से क्या नहीं हो सकता? आवश्यकता है नई पीढ़ी को आगे आने और समाधान खोजने की। बहुतेरे प्रयत्न हो भी रहे हैं, कभी तो सुख की सुबह आएगी

सुंदर और सार्थक रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई मीना जी/सादर

Comment by Meena Pathak on April 11, 2014 at 7:23pm

आप की इस टिप्पणी के लिए मै तहेदिल से आभारी हूँ आ० शिज्जू जी , कविता की सराहना के अलावा आपने जो हौसलाअफजाई की है स्त्रियों की उसके लिए नमन करती हूँ आप को | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 11, 2014 at 3:46pm

आपकी रचना ऐसे समय में आई है जब एक ज़िम्मेदार व्यक्ति ने गैरज़िम्मेदाराना और संवेदनाहीन वक्तव्य दिया है। स्त्री लाचार है और तब तक लाचार है जब तक वो अपनी रक्षा खुद न कर सके। मैं ये नहीं कहता कि पुरूषों की कोई ज़िम्मेदारी नही है, आज स्थिति ये है स्त्रियों को भी पूरी ताकत से सामने आना चाहिये। कोई आपके साथ नहीं कोई बात नही अपनी लड़ाई के लिये आगे आइये फिर देखिये आपके साथ एक के बाद एक कितने लोग आते हैं।
बहरहाल इस कविता के लिये बहुत बहुत बधाई

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