For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कलियुग में सतयुग चाहते हैं---- डॉo विजय शंकर

किस युग में रहते हैं हम ,
समय के साथ नहीं चलते हैं ,
सतयुग और द्वापर की बात
कलियुग में करतें हैं हम ,
सुदूर अतीत को वर्तमान में लाते हैं
सतयुग को कलियुग में मिलाते हैं
अपने समसामयिक युग को
समझ नहीं पाते हैं हम ,
महापाप करते हैं हम ,
समय की गति और दिशा
कुछ भी नहीं पहचानते हैं ,
गिरती दीवार थामते हैं हम।
गया वक़्त लौट के नहीं आता
जानते हैं , मानते नहीं हैं हम ।

रावणों के बीच कलियुग में रहते हैं ,
रावण के पुतले जलाते हैं हम ,
पुतले तो रोज न जाने किसके
किसके जलाते रहते हैं हम ,
क्या वो मिट जाते हैं ,
उम्र बढ़ती है , इससे उनकीं ,
वो ऐसा ही मानते हैं ,
रावणों की उम्र बढ़ाते हैं हम ,
हर साल पुतला जलाते हैं ,
इतिहास से कुछ नहीं सीखते ,
सतयुग , द्वापर , त्रेता सबको
कलियुग में चाहते हैं हम।
कलियुग को कोसने से
क्या होगा , कलियुग
विस्थापित नहीं होगा ,
छोड़ो रावण को भूलो
सिर्फ राम बनाओ ,
राम की मर्यादा निभाओ ,
अमर्यादित रावणों को
राम की मर्यादा से हराओ ,
फिर कलियुग को जैसा
चाहो , वैसा बनाओ ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 21, 2015 at 1:06am
प्रिय जीतेन्द्र जी कविता की प्रशस्ति के लिए , उसे मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार , बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 21, 2015 at 1:03am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार, कविता को समय देने के लिए , परखने के लिए , उसे मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार , धन्यवाद, सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 20, 2015 at 8:44pm

सुंदर और सकारात्मक सन्देश देती रचना पर बधाई स्वीकारें, आदरणीय डा.विजय जी

Comment by Samar kabeer on April 20, 2015 at 11:02am
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब,आपकी रचना अच्छा संदेश दे रही है,सोचने की दावत देती है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, दीपपर्व की शुभकामनाएँ।  छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। इंगित…"
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
24 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अशोक  भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका।  लगता है गेयता की समस्या  मेरी…"
42 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
51 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
53 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"धन्यवाद  भाव स्पष्ट करने  के लिए |"
56 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"लड़ियाँ  झूमें  ओने-कोने,  फूले-फले  त्योहार।...उत्तम कामना है आपकी किन्तु…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" दूर दूर रहना मजबूरी, बिखर गया परिवार।               …"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हृदय से आभार. सादर "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service